Move to Jagran APP

पर्वतीय जिलों में आरबीआइ के मानक पूरा नहीं कर पा रहे बैंक

ऋण-जमा अनुपात किसी भी जिले का आर्थिक आइना है। इसका संबंध बचत और ऋण से निर्धारित होता है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 11:59 PM (IST)
पर्वतीय जिलों में आरबीआइ के मानक पूरा नहीं कर पा रहे बैंक
पर्वतीय जिलों में आरबीआइ के मानक पूरा नहीं कर पा रहे बैंक

नैनीताल (जेएनएन) : ऋण-जमा अनुपात किसी भी जिले का आर्थिक आइना है। इसका संबंध बचत और ऋण वितरण से है। रिजर्व बैंक का मानक सौ रु पये की बचत हासिल करने पर 60 रु पए ऋण के रू प में वितरित करने का है। प्रदेश के पर्वतीय जिलों में रिजर्व बैंक के इस मानक को बैंक पूरा ही नहीं कर रहे हैं। पर्वतीय जिलों में ऋण जमा 100: 35 तक सिमट चुका है। यानि सौ रु पए की बचत पर 35 रु पए ही कर्ज दिया जा रहा है। जिसका सीधा संदेश जा रहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में लोग उद्यम के लिए आगे नहीं आ रहे हैं जबकि वास्तविकता यह है कि बैंक ऋण लेने वाले को बहाने बना कर टाल रह हैं। जिससे पर्वतीय जिलों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है। सारी आर्थिकी वेतन, पेंशन के रुपयों तक सिमट चुकी है। इन हालातों में पर्वतीय क्षेत्र में बड़े उद्योग स्थापित नहीं हो पा रहे हैं। पूरे पर्वतीय क्षेत्र में उद्यम के नाम पर शून्यता आ रही है।

loksabha election banner

बात पिथौरागढ़ की करें तो जिले में बैंक काफी अधिक हैं लेकिन ऋण देने के मामले में केवल तीन बैंक पिथौरागढ़ जिला सहकारी बैंक, उत्तराखंड ग्रामीण बैंक और भारतीय स्टेट बैंक ही आगे आए हैं। जिसमें कुल दिए गए ऋण का 42 फीसद जिला सहकारी बैंक ने दिया है। सरकार के स्पष्ट निर्देशों के बाद भी अन्य बैंकों ने इस दिशा में कोई रु चि नहीं दिखाई है। नहीं बढ़ पा रही है केसीसी

राज्य के पर्वतीय जिलों में कृषि भूमि भी नाममात्र को है। अमूमन सभी काश्तकार लघु काश्तकार है जिनके पास काफी कम भूमि है। नाममात्र की भूमि होने से मानकों के अनुसार उन्हें बहुत ही कम ऋण मिल पाता है।

सीमांत जनपद की स्थिति फिर भी अन्य से बेहतर

उत्तराखंड के नौ पर्वतीय जिलों में सीमांत जनपद पिथौरागढ़ अन्य जनपदों से इस मामले में बेहतर है। पिथौरागढ़ में बचत के अनुपात में 35 फीसद ऋण वितरित हुआ है। अन्य पर्वतीय जनपदों में बचत के अनुपात में ऋण अनुपात तीस फीसद से अधिक नहीं आ सका है। जिससे पर्वतीय जिलों की ऋण-जमा अनुपात की बदहाल स्थिति का पता चलता है। चम्पावत जिले की स्थिति भी बेहतर नहीं है जहां 20 से 22 प्रतिशत ही ऋण दिया जा रहा है। क्या है मानक

ऋण -जमा अनुपात में सर्वाेत्तम आर्थिक स्थिति बचत का साठ फीसद ऋण दिया जाना होता है। बचत का 40 फीसद ऋण दिया जाना सबसे न्यूनतम माना जाता है। प्रदेश के पर्वतीय जनपदों की बदहाली का पता इसी बात से लगता है कि एक भी जिले में मानक पूरे नहीं हो पा रहे हैं। पिथौरागढ़ की स्थिति अन्य जिलों की अपेक्षा बेहतर

पीएस गब्र्याल, जिला लीड बैंक अधिकारी, पिथौरागढ़ ने बताया कि पिथौरागढ़ जिले में अन्य पर्वतीय जिलों से स्थिति काफी अच्छी है। यहां पर अगस्त माह के अंत तक ऋण जमा औसत 34.29 फीसद है। अगस्त माह तक जमा 3875 करोड़ है और 1329 करोड़ का ऋण दिया गया है। जिससे स्पष्ट होता है कि पिथौरागढ़ में अन्य जिलों की अपेक्षा स्थिति संतोषजनक है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.