Uttarakhand Scholarship Scam : छात्रवृत्ति घोटाले में बैंक भी रडार पर, छात्रों के बिना ही शैक्षिक संस्थानों ने खोल दिए थे खाते
एसआइटी अधिकारियों के मुताबिक अब तक हुई जांच में पता चला है कि बाहरी राज्यों के शैक्षिक संस्थानों ने छात्रों के बिना ही उनके खाते खोल लिए।
रुद्रपुर (ऊधमसिंह नगर), जेएनएन : दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी की जांच में बाहरी राज्यों के बैंक भी रडार पर हैं। एसआइटी अधिकारियों के मुताबिक अब तक हुई जांच में पता चला है कि बाहरी राज्यों के शैक्षिक संस्थानों ने छात्रों के बिना ही उनके खाते खोल लिए और बाद में खातों में आई छात्रवृत्ति हड़प ली। दशमोत्तर छात्रवृत्ति में 2011 से 18 तक एससी, एसटी और ओबीसी के 1.28 लाख छात्रों ने छात्रवृत्ति ली है। जो छात्रों के नाम पर खोले गए बैंक खातों में डाले गए थे, जिसे बाद शैक्षिक संस्थानों ने निकाल लिया। इन मामलों में बैंकों की संलिप्तता की भी जांच की जाएगी।
अब तक हुई एसआइटी जांच में मिले साक्ष्य के आधार पर पुलिस ऊधमसिंह नगर में बाहरी राज्यों के शैक्षिक संस्थान और बिचौलियों के खिलाफ 15 मुकदमे दर्ज कर चुकी है। जिसमें से 10 बिचौलियों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। एसआइटी सूत्रों के मुताबिक जांच के दौरान पता चला कि बाहरी राज्यों के शैक्षिक संस्थानों में अलग अलग कोर्स के नाम प्रवेश लेकर छात्रवृत्ति लेने वाले 3024 छात्रों में से 30 से 40 प्रतिशत लाभार्थी फर्जी है। फर्जीवाड़ा बिचौलियों और शैक्षिक संस्थानों ने मिलकर की है। बकायदा फर्जी तरीके से किए गए प्रवेश के बाद उन्होंने लाभार्थियों के नाम पर अपने आसपास के बैंकों में खाते भी खुलवाए। ताकि छात्रवृत्ति को हड़पा जा सके। ऐसे में एसआइटी नामजद शैक्षिक संस्थानों के साथ ही बाहरी राज्यों में छात्रवृत्ति के लिए छात्रों के नाम पर खोले गए बैंकों के खातों की भी जांच करेगी।
बैंकों से छात्रवृत्ति हड़पने का ऐसे हुआ खेल
छात्रवृत्ति घोटाले में जांच में जिस प्रकार से एसआइटी की जांच आगे बढ़ती गई उससे नई परते खुलती गई। सूत्रों की माने तो छात्रवृत्ति का पैसा हड़पने के लिए विद्यार्थियों से दाखिले के दौरान हस्ताक्षर किए हुए खाली चेक व खाली वाउचर लिए गए जिन्हें बाद में छात्रवृत्ति का पैसा वसूलने के लिए इस्तेमाल किया गया। विद्यार्थियों के खाते बिना आधार कार्ड के ही खोले गए। बैंक में विद्यार्थी के नाम से खोले गए खाते में निजी शिक्षण संस्थानों के प्रबधकों ने अपने मोबाइल फोन नंबर दर्शाए ताकि विद्यार्थी के बैंक खाते में डलने वाली छात्रवृत्ति की राशि का मोबाइल फोन जानकारी लाभार्थी तक न पहुंच उन तक पहुंचे।
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