पॉलीथिन पर लगा बैन साबित हो रहा बेमतल, गाइडलाइन न होने से धड़ल्ले से हो रहा इस्तेमाल
प्रदेश में दो अक्टूबर को गांधी जयंती मनाने के साथ सिंगल यूज प्लास्टिक के खात्मे के लिए जागरूकता अभियान चला।
हल्द्वानी, गणेश पांडे : प्रदेश में दो अक्टूबर को गांधी जयंती मनाने के साथ सिंगल यूज प्लास्टिक के खात्मे के लिए जागरूकता अभियान चला। स्कूली बच्चों ने शहर से सिंगल यूज प्लास्टिक एकत्र किया, मगर इसके बाद इस मुद्दे पर प्रदेश में कोई हलचल दिखाई नहीं दे रही।
उत्तराखंड में प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने का पूरा मामला जनता पर छोड़ दिया गया है। जनता चाहे तो स्वेच्छा से सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद कर दे। अब दुविधा यह है कि पुराने आदेश के हिसाब से पॉलीथिन के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार अफसरों को है, लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ प्रतिबंध को लेकर प्रदेश सरकार ने न कोई नोटिफिकेशन निकाला है और न गाइडलाइन बनाई है। इस कारण अफसर भ्रम में हैं। यही असमंजस की स्थिति पॉलीथिन का उत्पादन, विक्रय व वितरण करने वालों के बीच बनी हुई है। हल्द्वानी में रोजाना करीब 135 क्विंटल सिंगल यूज प्लास्टिक निकलता है।
- प्लास्टिक का सर्वाधिक इस्तेमाल
- सब्जी का बाजार
- ई-कामर्स कंपनियां
- पानी व कुकिंग ऑयल
- सामूहिक समारोह
यह है सिंगल यूज प्लास्टिक
पचास माइक्रोमीटर (माइक्रॉन) या उससे कम स्तर का प्लास्टिक सिंगल यूज प्लास्टिक होता है। प्लास्टिक के थैले (पॉलीथिन), स्ट्रॉ, पानी की छोटी बोतल व खाद्य सामग्री सुरक्षित रखने वाले पैकेट सिंगल यूज प्लास्टिक के बने होते हैं। यह न आसानी से नष्ट होते हैं और न इसे रिसाइकिल किया जा सकता है। इसलिए इसे सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं।
- केंद्र सरकार की गाइडलाइन
- राज्य सरकारों को अपशिष्ट प्रबंधन के लिए परिवहन पर अधिक व्यय के साथ ही प्लास्टिक के विकल्पों को प्रोत्साहित करना होगा।
- सिंगल यूज प्लास्टिक की सूची बनाकर उन्हें प्रतिबंधित करने की कार्ययोजना बनाएं।
- राज्यों में रिसाइक्लिंग की व्यवस्था की जाए।
- सरकारी कार्यक्रमों को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने के साथ सरकारी कार्यालयों में इसके इस्तेमाल पर रोक लगाएं।
कार्यालयों में इस्तेमाल पर रोक : आयुक्त
नगर आयुक्त सीएस मर्तोलिया का कहना है कि प्रदेश सरकार की ओर से अभी जो एडवायजरी जारी हुई है, उसमें शिक्षण संस्थानों, सरकारी व अद्र्धसरकारी कार्यालयों में सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंधित किया गया है। जुर्माने को लेकर नई गाइडलाइन नहीं आई है, हालांकि जरूरत होने पर प्लास्टिक व थर्माकोल आदि पर जुर्माने के पुराने प्रावधान के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है। जिसमें अधिकतम पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है।