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चीन सीमा को जोड़ने वाले दारमा मार्ग पर बैली ब्रिज तैयार

उच्च हिमालयी घाटी दारमा में चीन सीमा को जोडऩे वाले तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग पर ठाड़ी गाड़ में बैली मोटर पुल तैयार हो गया है। बुधवार से पुल यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। अब मानसून काल के चार माह में भी इस मार्ग पर यातायात सुचारू रहेगा।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 04:33 PM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 09:39 PM (IST)
चीन सीमा को जोड़ने वाले दारमा मार्ग पर बैली ब्रिज तैयार
सीपीडब्ल्यूडी इस मार्ग में सात पुलों का निर्माण कर रही है।

जागरण संवाददाता, धारचूला (पिथौरागढ़) : तहसील के उच्च हिमालयी घाटी दारमा में चीन सीमा को जोडऩे वाले तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग पर ठाड़ी गाड़ में बैली मोटर पुल तैयार हो गया है। बुधवार से पुल यातायात के लिए खोल दिया जाएगा। अब मानसून काल के चार माह में भी इस मार्ग पर यातायात सुचारू रहेगा।

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धारचूला की दारमा घाटी में सीपीडब्ल्यूडी द्वारा चीन सीमा से लगे क्षेत्र ढाकर तक सड़क का निर्माण किया गया है। अंतिम भारतीय गांव सीपू तक बनने वाली यह सड़क पंचाचूली ग्लेशियर बेस कैंप के निकट दुग्तू गांव से होकर गुजरती है। मार्ग बने चार साल से अधिक हो चुके हैं, परंतु पुलों का निर्माण कार्य जारी है, अलबत्त्ता वाहन चलते रहते हैं। मानसून काल में जब नदी-नाले पूरे उफान पर रहते हैं, तब यहां वाहनों के संचालन में परेशानी आती है। सीपीडब्ल्यूडी इस मार्ग में सात पुलों का निर्माण कर रही है।

मार्ग में सबसे बड़ी बाधा प्रवेश द्वार सोबला से आगे ठाड़ीगाड़ बनी थी। प्रतिवर्ष मानसून काल में यहां पर बना पुल बह जाता था। ग्रामीण जान हथेली पर रख कर नाला पार करते थे। पुल बहने से वाहनों का संचालन भी प्रभावित होता था। ठाड़ीगाड़ भूस्खलन की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इस स्थान पर वर्ष 1994 से पूर्व आठ मेगावॉट की माइक्रोहाइडिल बिजली का उत्पादन होता था। यह परियोजना 1994 की आपदा में बह गई थी। इस स्थान पर पुल निर्माण भी चुनौती बनी थी।

आइआइटी दिल्ली रु ड़की के इंजीनियरों के संयुक्त निरीक्षण के बाद सुरक्षा को देखते पुल निर्माण का कार्य चला। बैली ब्रिज एक साल पूर्व ही बन जाना था, परंतु कोरोना काल के चलते कार्य रु क गया। इधर, अब ठाड़ीगाड़ में 280 फीट लंबा बैली ब्रिज तैयार हो गया है। चीन सीमा से लगी दस हजार की आबादी इस पुल से लाभान्वित होगी।

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