बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति को झटका
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति भंग करने के सरक
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति भंग करने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका को आधारहीन पाते हुए खारिज कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर समिति में अपनों के मनोनयन के लिए सरकार को फ्री हेंड मिल गया है। हाई कोर्ट की एकलपीठ ने सरकार के समिति भंग करने के आदेश को गलत करार देते हुए समिति बहाल कर दी थी तो एकलपीठ के फैसले के खिलाफ सरकार द्वारा खंडपीठ में विशेष अपील दायर की। खंडपीठ ने सरकार के आदेश को सही ठहराते हुए एकलपीठ का आदेश निरस्त कर दिया। मंदिर समिति के सदस्य दिवाकर चमोली व दिनकर बाबुलकर ने पुनर्विचार याचिका दायर की। जिसमें कहा गया था कि सरकार द्वारा मंदिर समिति भंग करते समय समिति को किसी भी प्रकार का नोटिस नहीं दिया था, जबकि मंदिर समिति का कार्यकाल पूरा नहंी हुआ था। मंदिर समिति को कोई कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया। इसलिए यह आदेश मंदिर समिति अधिनियम 1939 की धारा-11(अ) के विरुद्ध है। पहली अप्रैल को मंदिर समिति सदस्य दिवाकर चमोली व दिनकर बाबुलकर ने सरकार के मंदिर समिति भंग करने के आदेश को चुनौती दी थी। एकलपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए सरकार मंदिर समिति भंग करने का आदेश निरस्त करते हुए को समिति को बहाल कर दिया था। पिछले साल आठ जून को सरकार द्वारा एक्ट का संज्ञान लेते हुए फिर से समिति को भंग कर दिया तो इस आदेश को फिर से याचिका के जरिये चुनौती दी तो कोर्ट ने एकलपीठ फिर से समिति को बहाल कर दिया। एकलपीठ के आदेश को सरकार द्वारा विशेष अपील दायर कर चुनौती दी गई तो खडपीठ ने सरकार के आदेश को सही मानते हुए एकलपीठ के फैसले को निरस्त कर दिया। खंडपीठ के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की गई। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति केएम जोसफ व न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की खंडपीठ में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार की दलीलों से सहमत होते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी।