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Avalanche in Uttarakhand : उत्तरकाशी में आए एवलांच में नैनीताल का शुभम सांगुड़ी भी लापता

Avalanche in Uttarakhand उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा में आए एवलांच में नैनीताल के तल्ला कृष्णापुर का निवासी शुभम सांगुड़ी (Shubham Sanguri) भी लपता है। शुभम भी ट्रैकिंग पर गया था। शुभम के पिता दिवान सिंह टैक्सी संचालक हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 05 Oct 2022 03:15 PM (IST)Updated: Wed, 05 Oct 2022 03:15 PM (IST)
Avalanche in Uttarakhand : उत्तरकाशी में आए एवलांच में नैनीताल का शुभम सांगुड़ी भी लापता
Avalanche in Uttarakhand : उत्तरकाशी में आए एवलांच में नैनीताल का शुभम सांगुड़ी भी लपता

नैनीताल, जागरण संवाददात : Avalanche in Uttarakhand : उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा में आए एवलांच में नैनीताल के तल्ला कृष्णापुर का निवासी शुभम सांगुड़ी (Shubham Sanguri) भी लपता है। शुभम भी ट्रैकिंग पर गया था। शुभम के पिता दिवान सिंह टैक्सी संचालक हैं। खोज एवं बचाव दल के माध्यम से अभी तो उसका कोई पता नहीं लगा है।

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बेटे के लापता होने से पिता समेत स्वजन परेशान हैं। शुभम की मां का दो साल पहले बीमारी से निधन हो गया था, जबकि बहन रुद्रपुर में जाॅब करती है। शुभम 10 सितंबर को नैनीताल से उत्तरकाशी गया था।

14 को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में गया था। एमबीए पास शुभम पहले भी ट्रैकिंग दल में शामिल था। शुभम के पिता ने उसका पता लगाने की गुहार जिला प्रशासन व सरकार से की है।

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के एडवांस कोर्स के दौरान द्रौपदी का डांडा में प्रशिक्षकों समेत 34 प्रशिक्षु पर्वतारोही एवलांच की चपेट में आए। इनमें कुछ एवलांच में दबे हैं और ग्लेशियर के बीच में बड़ी दरारों (क्रेवास) में अभी फंसे हुए हैं।

एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल समेत चार के शव बरामद कर लिए हैं। चार घायलों को भी निकाला है। इस 42 सदस्यीय दल के 26 व्यक्ति अभी लापता हैं। इस घटना में काफी अधिक संख्या में हताहत होने की आशंका है।

23 सितंबर को द्रौपदी का डांडा गया था दल

एडवांस कोर्स के लिए 23 सितंबर को द्रौपदी का डांडा गए दल में 34 प्रशिक्षु पर्वतारोही, सात प्रशिक्षक व एक नर्सिंग स्टाफ शामिल था। इसमें से आठ सुरक्षित हैं। चार घायलों का उपचार किया जा रहा है। चार के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबिक लापता 26 पर्वतारोहियों की तलाश जारी है।

उत्तराखंड में होती रही है एवलांच की घटनाएं निरंतर अंतराल पर होती रही हैं। 1990 से लेकर अभी तक 16 बड़ी घटनाएं हुई हैं। जिनमें 60 से अधिक पर्वतारोहियों की जान गई है।

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