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Auto sector slowdown ऑटो सेक्टर झेल रहा मंदी की मार, तमाम कंपनियों में कई दिन कामबंदी

इलेक्ट्रिक वाहन लाने की सरकार की घोषणा ने ही ऑटो सेक्टर को जबरदस्त झटका दे दिया है। इस योजना से वाहन बनाने वाली टाटा मोटर्स अशोक लीलैंड जैसी कंपनियों की हालत खस्ता होने लगी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 10:06 AM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 10:18 AM (IST)
Auto sector slowdown ऑटो सेक्टर झेल रहा मंदी की मार, तमाम कंपनियों में कई दिन कामबंदी
Auto sector slowdown ऑटो सेक्टर झेल रहा मंदी की मार, तमाम कंपनियों में कई दिन कामबंदी

रुद्रपुर, जेएनएन : इलेक्ट्रिक वाहन Electric vehicle लाने की सरकार की घोषणा ने ही ऑटो सेक्टर Auto sector slowdown को जबरदस्त झटका दे दिया है। भले ही इस योजना को धरातल पर लाने में कई साल लग सकते हैं, लेकिन वाहन बनाने वाली टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड जैसी कंपनियों की हालत खस्ता होने लगी है Auto sector is facing recession। बाजार में डीजल व पेट्रोल वाहनों की खपत कम होने से स्थानीय इकाइयां माह में कई दिन के लिए कामबंदी करने को मजबूर हैं। घोषणा के बाद सिडकुल में ही छह माह में 40 से 50 फीसद उत्पादन कम हो गया है। 
ऊधमसिंह नगर जिले में सितारगंज व रुद्रपुर सिडकुल, काशीपुर व महुआखेड़ागंज में करीब एक हजार उद्योग ऑटो सेक्टर से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। राज्य बनने के बाद यहां उद्योग तो लगे, मगर सड़क, रेलवे जैसी आधारभूत सुविधा नहीं जुटाई जा सकी। इससे कच्चा माल लाने व उत्पाद ले जाने में ट्रांसपोर्ट के बढ़े खर्च से कंपनियां जूझ रही थीं कि दो साल पहले जीएसटी लागू कर दी गई। ऑटो सेक्टर पर 28 फीसद जीएसटी है। प्रदूषण रोकने के दृष्टिगत कुछ माह पहले देश में इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की सरकार की घोषणा के बाद इसमें और कमी आ गई। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से भी डीजल व पेट्रोल के बीएस-तीन मानक वाले वाहन बंद हैं। वर्तमान में बीएस-चार वर्जन के वाहन चल रहे हैं। यानी प्रदूषण को कम करने के लिए इंजन में बदलाव किया गया है। एक अप्रैल 2020 से बीएस छह वर्जन वाले वाहन चलेंगे। इस बीच सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की घोषणा तो की, मगर तैयारी पूरी तरह से नहीं की है। जगह-जगह बैटरी चार्जिंग स्टेशन जैसी तमाम सुविधाएं होनी चाहिए। इससे पेट्रोल व डीजल के वाहनों की मांग कम हो गई है। क्योंकि खरीदार इससे आशंकित हैं कि भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहन आने के बाद डीजल व पेट्रोल के नए वर्जन के वाहनों पर भी रोक लग सकती है। इसका असर उत्पादन पर पड़ रहा है। उद्यमियों के मुताबिक हर माह आठ से 10 दिन दिन अशोका लीलैंड कंपनी काम बंद रख रही है। पिछले छह दिन से टाटा मोटर्स में काम बंद है। इनसे जुड़े करीब 60 वेंडर कंपनियों पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है। कुछ दिन कंपनियां बंद होने से उत्पाद का लागत खर्च भी बढ़ जाता है। लागत बढऩे से माल महंगा हो जाता है और बाजार में खपत कम हो जाती है। ऑटो सेक्टर से जुड़े उद्यमियों को सरकार से उम्मीद है कि आधारभूत ढांचा मजबूत करने, सात-आठ साल तक इलेक्ट्रिकल वाहन न लाने व जीएसटी 28 फीसद से घटाकर 18 फीसद कर दी जाए तो ऑटो सेेक्टर को मंदी से उबारा जा सकता है। 

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ऊधम सिंह नगर में आधारभूत ढांचा ही खराब 
सुरेश कुमार, जोनल चेयरमैन सितारगंज सिडकुल केजीसीसीआइ ने बताया कि राज्य में खासकर ऊधम सिंह नगर में आधारभूत ढांचा ठीक नहीं है। समय से न तो माल आ पाता है न ही उत्पाद गंतव्य तक पहुंच पाता है। सितारगंज में रेलवे स्टेशन न होने से रुद्रपुर से माल भेजा जाता है। इससे लागत खर्च बढ़ जाता है। बैंकों से लोन भी नहीं मिल पाता है। बैंकों को वित्तीय रुप से मजबूत करने की जरुरत है।

अशोका लीलैंड कंपनी 8-10 दिन बंद रही
अनूप सिंह, जोनल चेयरमैन सिडकुल पंतनगर केजीसीसीआइ ने बताया कि पिछले माह अशोका लीलैंड कंपनी 8-10 दिन बंद रही। टाटा मोटर्स छह दिन से बंद है। मंगलवार को कंपनी खुलेगी। सरकार ने बिना तैयारी के ही इलेक्ट्रिक वाहन चलाने की जल्दबाजी में घोषणा कर दी है। आटो सेक्टर पर 28 फीसद जीएसटी है, जिसे 18 फीसद तक घटाया जाना चाहिए। छह माह में करीब 40 से 50 फीसद उत्पादन कम हुआ है।


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