उत्तराखंड में चीन सीमा तक पहुंच के लिए एक और राह, दारमा वैली से भी पहुंचना हुआ आसान
उत्तराखंड में चीन सीमा तक पहुंचने के लिए एक और राह जल्द आसान हो जाएगी। जिले की दारमा घाटी में चीन सीमा तक पहुंचने के लिए 40 किमी लंबी सड़क पहले ही बन चुकी है।
पिथौरागढ़, जेएनएन : उत्तराखंड में चीन सीमा तक पहुंचने के लिए एक और राह जल्द आसान हो जाएगी। जिले की दारमा घाटी में चीन सीमा तक पहुंचने के लिए 40 किमी लंबी सड़क पहले ही बन चुकी है, लेकिन मानसून काल में नदियों का पानी सड़क पर आ जाने से उक्त सड़क मानसूनकाल में अवरुद्ध हो जाती थी। नदियों का पानी आवागमन प्रभावित न कर सके, इसके लिए सात पुल स्वीकृत किए थे, जिसमें से छह तैयार हो चुके हैं और अब सिर्फ एक पुल ही तैयार होना रह गया है। जिला प्रशासन अक्टूबर तक इसके पूरे होने का दावा कर रहा है।
पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील के अंतर्गत आने वाले तवाघाट से दारमा और व्यास वैली अलग-अलग हैं। व्यास वैली के अंतर्गत तवाघाट-लिपुलेक सड़क तैयार हो चुकी है। अब दारमा वैली में सोबला-सेला-तिदांग सड़क को भी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग ने तैयार कर लिया है। धारचूला से सोबला की दूरी 45 किमी है। सोबला से सेला होते हुए तिदांग तक 40 किमी. लंबी सड़क का निर्माण तीन साल पहले यानी 2017 में पूरा हो चुका है। तिदांग से छह किमी दूर चीन सीमा पर भारत का अंतिम पड़ाव सीपू है।
तिदांग से सीपू तक सड़क पहले ही बनी हुई है। 2017 में सोबला से तिदांग तक तैयार हो चुकी 40 किमी लंबी सड़क की दूरी के बीच नदियों का पानी तेज बहाव में सड़क से गुजरने लगता है। जिस कारण कई बार मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। इसको देखते हुए मार्ग अवरुद्ध वाले स्थानों पर सात पुलों को स्वीकृत किया गया। जिसमें से छह पुल तैयार हो चुके हैं और सोबला में सातवें पुल का काम भी अंतिम चरण में है। जिला प्रशासन का दावा है कि यह पुल भी अक्टूबर तक पूूरा हो जाएगा।
डा.विजय कुमार जोगदंडे, जिलाधिकारी, पिथौरागढ़ ने बताया कि सोबला से तिदांग तक 40 किमी लंबी सड़क पर पुलों का काम पूरा हो चुका है। सिर्फ सोबला में अंतिम पुल का निर्माण अक्टूबर माह तक पूरा कर लिया जाएगा। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को सड़क पर डामरीकरण शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
सुरक्षा बलों के साथ ही 14 गांव के लोगों को भी आसानी
सोबला से तिदांग तक 40 किमी. लंबी सड़क पर विभाग ने 27 किमी. मोटर मार्ग में सोलिंग का कार्य पूरा कर लिया है। अब पुलों के निर्माण के बाद सड़क पर सुरक्षा बलों के लिए चीन सीमा तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा। साथ ही इस वैली के अंतर्गत आने वाले 14 गांवों के लोगों को भी सड़क की सुविधा मिलने लगेगी।
चीन सीमा तक पहुंचने के लिए तीन मार्ग हैं प्रस्तावित
सीमांत जिले पिथौरागढ़ से चीन सीमा तक तीन सड़कें प्रस्तावित की गई थीं। इनमें से एक सड़क लिपुलेक-गर्वाधार मार्ग पूरा हो चुका है। दूसरी सड़क मुनस्यारी तहसील क्षेत्र में निर्माणाधीन धापा-मिलम सड़क के अगले वर्ष पूरा होने की उम्मीद है।
पंचाचूली के बेस कैंप तक पहुंच सकेंगे पर्यटक
जिले में नैसर्गिक पर्यटन की दृष्टि से दारमा वैली सबसे खूबसूरत मानी जाती है। खूबसूरत झरने, उच्च हिमालय के खुले मैदान, घाटी में बहती नदियां और सबसे महत्वपूर्ण पंचाचूली ग्लेशियर का यहां विहंगम दृश्य है। सड़क पर पुलों के बन जाने के बाद पर्यटक आसानी से पंचाचूली के बेस कैंप तक पहुंच सकेंगे। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य की तुलना जम्मू कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र से की जाती है। उम्मीद है कि पर्यटन बढ़ेगा तो उन्हें गांव में ही रोजगार के अवसर मिलने लगेंगे।
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