दो साल पहले भी मासूम से दरिंदगी और हत्या के बाद हरिद्वार में सड़कों पर उतर आए थे लोग
Haridwar Rishikul Colony Child Murder दिसंबर 2020 में हरिद्वार की ऋषिकुल कॉलोनी में बिटिया की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। तब भी घटना के विरोध में रोष पूरे उत्तराखंड में नजर आया था। पीड़ित स्वजनों को इंसाफ दिलाने के लिए पूरा लोग सड़कों पर उतर आए थे।
हल्द्वानी, स्कंद शुक्ल : अंकिता भंडारी हत्याकांड (Ankita Bhandari murder) ने एक बार फिर उत्तराखंड में बेटियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वारदात के विरोध में पहाड़ से लेकर मैदान तक विरोध प्रदर्शन जारी है, तो सरकार भी मामले में कड़ी कार्रवाई कर रही है। दो साल पहले 2020 में जाड़े के दिनों में तीर्थ नगरी हरिद्वार भी दरिंदों की दरिंदगी से शर्मशार हुई थी।
Haridwar Rishikul Colony Child Murder: दिसंबर 2020 में हरिद्वार की ऋषिकुल कॉलोनी में बिटिया की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। तब भी घटना के विरोध में रोष पूरे उत्तराखंड में नजर आया था। पीड़ित स्वजनों को इंसाफ दिलाने के लिए पूरा लोग सड़कों पर उतर आए थे। वारदात के मुख्य अभियुक्त रामतीर्थ के फरार मामा राजीव की गिरफ्तारी होने तक हर दिन अलग-अलग संगठनों के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन होते रहे।
दुष्कर्म के बाद कर दी थी मासूम की हत्या
हरिद्वार क्षेत्र के ऋषिकुल कॉलोनी निवासी नौ वर्षीय बालिका 20 दिसंबर, 2020 को करीब साढ़े तीन बजे अपने घर की छत पर पतंग उड़ा रही थी। इसी दौरान कालोनी में रह रहे रामतीरथ यादव ने पतंग दिलाने के बहाने उसे अपने घर बुलाया। मां को यह बात बताकर बच्ची घर से निकली, लेकिन उसके बाद लौटी नहीं।
पुलिस की सक्रियता से खुला मामला
बच्ची के लापता होने की सूचना पर तत्कालीन मायापुर चौकी प्रभारी संजीत कंडारी ने समय रहते तत्परता दिखाते हुए बच्ची की खोजबीन शुरू कर दी। संदह के आधार पर मुख्य आरोपित रामतीरथ को उठाकर पूछताछ के बाद बच्ची का शव बरामद कर लिया था।
पुलिस जरा भी देर करती तो रामतीरथ बच्ची के शव को ठिकाने लगा चुका होता। फिर शायद ही कभी इस केस की गुत्थी सुलझ पाती। बच्ची का शव पास की कालोनी में रामतीर्थ यादव के मामा राजीव के मकान की छत पर बने गोदाम में सामान के बीच पड़ा मिला। बच्ची की दुष्कर्म के बाद रस्सी से गला घोंट कर हत्या की गई थी।
सड़कों पर उतरे लोग, विस में भी उठा था मामला
घटन के विरोध में प्रदेशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ। मामला विस में भी उठा था। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्व. नेता विपक्ष इंदिरा हृदयेश के नेतृत्व में प्रीतम सिंह, ममता राकेश, हाजी फुरकान, मनोज रावत, आदेश चौहान ने इस मुद्दे को सदन में उठाया था। विपक्ष के नेताओं ने आरोप लगाया कि इस घटना के आरोपित प्रभावशाली लोग हैं। शहर के बीचों बीच दिन दहाड़े हुए इस घटना से प्रदेश में कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में हुई थी मामले की सुनवाई
यह मामला विशेष न्यायाधीश पोक्सो अंजली नौडियाल के यहां चल रहा था। मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायाधीश ने इस मामले की तेजी से सुनवाई करते हुए शनिवार को मुख्य आरोपी राम तीरथ को जहां फांसी की सजा और एक लाख तीस हजार के जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं, आरोपी मामा को दोषी मानते हुए पांच साल की सजा के साथ एक लाख के जुर्माने की सजा सुनाई।
पुलिस ने आरोपित मामा को सुल्तानपुर से किया था गिरफ्तार
लगातार विरोध प्रदर्शन और एक लाख रुपये का इनाम घोषित होने पर तत्कालीन सीओ अभय प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस टीम ने कड़ी मशक्कत व जद्दोजहद के बाद उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से राजीव को भी गिरफ्तारी कर लिया था। तब जाकर लोगों का आक्रोश शांत हुआ था। शहर के माहौल को देखते हुए तत्कालीन डीआइजी गढ़वाल नीरू गर्ग को हरिद्वार आना पड़ा। उन्होंने कई दिन हरिद्वार में ही कैंप करते हुए पुलिस टीमों को दिशा-निर्देश दिए।
फांसी की सजा पर परिवार ने जताया संतोष
घटना के बाद मासूम का परिवार और शहर के लोग फांसी की मांग करते आ रहे थे। उस समय विरोध प्रदर्शनों के अलावा दुखी स्वजन को सांत्वना देने के दौरान अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के सामने भी एकमात्र यही मांग रखी गई थी।
कोर्ट का फैसला आने पर मुख्य अभियुक्त रामतीरथ को फांसी की सजा सुनाए जाने पर परिवार ने संतोष व्यक्त किया है। स्थानीय निवासियों ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। हालांकि स्वजनों का मानना है कि उसके मामा राजीव की भूमिका भी गंभीर थी, उसे भी और सजा मिलनी चाहिए थी।