Move to Jagran APP

गृहस्थी, खेती-बाड़ी से लेकर स्वरोजगार में भी संतुलन साध रही उत्तराखंड की आधी आबादी

होम स्टे योजना अपने क्षेत्र में ही रोजगार देने के साथ पलायन को रोकने में काफी कारगर है। इससे पर्यटक भी लाभांवित होते हैं। उन्हें कम कीमत पर ठहरने व खाने के लिए अच्छी जगह मिल जाती है। साथ ही स्थानीय खानपान व संस्कृति को भी बढ़ावा मिलता है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 02:00 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 02:00 PM (IST)
गृहस्थी, खेती-बाड़ी से लेकर स्वरोजगार में भी संतुलन साध रही उत्तराखंड की आधी आबादी
गांवों में घरों को होम स्टे में बदलने के लिए सरकार मदद कर रही है।

घनश्याम जोशी, बागेश्वर। उत्तराखंड की भौगोलिक विषमता व आधारभूत संसाधनों का अभाव यहां के लोगों को बहुत हिम्मती व साहसी बना देता है। खासकर पहाड़ की महिलाएं बुलंद हौसले वाली होती हैं। वह विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटतीं।

prime article banner

घर के काम करते हुए जंगल में लकड़ी लाना, मवेशियों के लिए चारा लाने के काम का बाखूबी करती हैं, जबकि जंगली जानवरों के खतरे के बीच यह साधारण से लगने वाले काम आसान नहीं है। हम यहां बात करने जा रहे हैं महिलाओं के एक ऐसे समूह के बारे में जो गृहस्थी व अन्य काम करते हुए स्वरोजगार में भी नाम कर रही हैं। वह अन्य महिलाओं व युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रही हैं।

यह कहानी है लीती गांव की 30 संघर्षशील महिलाओं की। इन्होंने होम स्टे को आजीविका का आधार बना हर हालात में खुद को साध लिया है। बागेश्वर में कुल 114 होम स्टे अभी संचालित हैं, जिनमें से अकेले लीती में ही 30 हैं। कोरोना महामारी के समय में भी यहां के होम स्टे में रौनक रही।

दिल्ली व एनसीआर में मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले अधिकारियों ने यहां करीब चार महीने रहकर खुद को आइसोलेट करने के साथ ही वर्क फ्राम होम काम किया। ऐसे में वे पहाड़ी वादियों में संक्रमण से बचे रहे और होम स्टे संचालित करने वाली महिलाओं को अच्छी आमदनी भी होती रही। 

वर्तमान में इस ग्रुप से सीख लेकर गांव के 20 युवा भी बाहरी होटलों का काम छोड़कर गांव वापस आकर होम स्टे के लिए आवेदन किए हैं। जो कि सुखद भविष्य की ओर इशारा कर रही है।

आपसी तालमेल से चलता है होम स्टे

लीती में गायत्री होम स्टे की संचालक धना कोरंगा बताती हैं कि उनके गांव में वर्ष 2018 से आपसी तालमेल से होम स्टे का संचालन किया जाता है। छह महिलाओं ने अपनी पूंजी से होम स्टे खोले हैं। एक महिला ने ऋण लेकर यह काम किया है। किसी होम स्टे में अधिक लोग आ गए तो दूसरे होम स्टे में भेजे जाते हैं। महीने में 10-12 सैलानी एक होम स्टे में आते हैं।

ये महिलाएं कर रही हैं काम

लीती में धना कोरंगा गायत्री होम स्टे नाम से होम स्टे संचालित करती हैं। लक्ष्मी देवी आनंदी होम स्टे, कलावती देवी लक्ष्मी होम स्टे, नंदी देवी तुलसी होम स्टे, गंगा देवी गंगा होम स्टे, कलावती देवी भगवती होम स्टे, विजया देवी दीपक होम स्टे नाम से होम स्टे का संचालन करतीं हैं। 500 से 1000 रुपये प्रतिदिन के किराये पर होम स्टेट उपलब्ध हैं।

जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ति चंद्र आर्य होम स्टे निर्माण के लिए तीस लाख रुपये तक ऋण दिया जाता है। 50 प्रतिशत अनुदान और ऋण के ब्याज में भी 50 प्रतिशत तक छूट है। अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक का ब्याज विभाग देता है। 

यह है होम स्टे योजना

इस योजना के अंतर्गत गांवों में घरों को होम स्टे में बदलने के लिए सरकार मदद कर रही है। शर्त यही है कि होम स्टे स्वामी स्वयं वहां रहेगा और पर्यटक पेइंग गेस्ट के रूप में। उन्हें उत्तराखंड के व्यंजन परोसे जाएंगे तो यहां की सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित कराया जाएगा।

इससे स्थानीय खानपान व संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। पिछले पांच वर्ष में प्रदेश में योजना के तहत पांच हजार होम स्टे के लक्ष्य के सापेक्ष 3759 तैयार हो चुके हैं। 

योजना के लिए कैसे करें आवेदन

आनलाइन या फिर आफलाइन पर्यटन विभाग में आवेदन करना होता है। आनलाइन के पर्यटन विभाग की वेबसाइट https://uttarakhandtourism.gov.in/ पर आवेदन करना होगा। होम स्टे बनाने के लिए भूमि संबंधित प्रमाणपत्र, आगणन, ग्राम प्रधान से एनओसी, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, आधार कार्ड और बैंक से सहमति लेना जरूरी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.