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Akshaya Tritiya 2021 : अक्षय तृतीया 14 मई को, खरीदारी व दान के साथ जरूरतमंदों की मदद करना पुण्यदायी

Akshaya Tritiya 2021 वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व को खास माना जाता है। अक्षय तृतीया में किए जाने वाले शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है इसीलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 06:54 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 06:54 AM (IST)
Akshaya Tritiya 2021 : अक्षय तृतीया 14 मई को, खरीदारी व दान के साथ जरूरतमंदों की मदद करना पुण्यदायी
इस तिथि पर दान करने का अत्यधिक महत्व है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Akshaya Tritiya 2021 : अक्षय फलदायी मानी जाने वाली अक्षय तृतीया 14 मई को मनाई जाएगी। स्कंद पुराण के मुताबिक वैशाख को बहुत खास माह माना गया है। वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस पर्व को खास माना जाता है। अक्षय तृतीया में किए जाने वाले शुभ कार्य का अक्षय फल मिलता है, इसीलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय तृतीया पर नई वस्तुएं खरीदने और सोने से बनी चीजें या आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है।

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दिनभर रहेगी अक्षय तृतीया

श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य डा. नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस साल वैशाख शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि शुक्रवार, 14 मई को सूर्योदय के साथ शुरू होगी और अगले दिन शनिवार की सुबह तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र का संयोग शुक्रवार को बनने से धर्म ग्रंथों के मुताबिक 14 मई को अक्षय तृतीया मनाई जानी चाहिए। इस तिथि पर दान करने का अत्यधिक महत्व है।

कोरोना काल में जरूरतमंदों की मदद करें

अक्षय तृतीया पर अपनी कमाई का कुछ अंश दान करना चाहिए। शास्त्रों में गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी, नमक, शहद, मटकी, खरबूजा, कन्या आदि 14 तरह के दान का उल्लेख किया गया है। डा. जोशी के मुताबिक कोरोना काल में जरूरतमंदों की किसी तरह से मदद करना भी पुण्य का काम होगा।

भगवान विष्णु-लक्ष्मी की पूजा का विधान

अक्षय तृतीया पर नई चीजों की खरीदारी बहुत ही शुभ मानी जाती है। विशेषकर सोने से बनी चीजें या आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर विधि विधान से पूजा-पाठ करने से न सिर्फ भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी, बल्कि बुद्धि और विद्या का भी वरदान मिलता है। मान्यता है कि इस दिन कुबेर देवता ने देवी लक्ष्मी से धन की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की थी, जिससे प्रसन्न होकर देवी लक्ष्मी ने उन्हें धन और सुख-समृद्धि से संपन्न किया था।

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