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आखिरकार कोर्ट के आदेश पर प्राचार्य मामले में झुकी सरकार

प्राचार्य जगदीश प्रसाद के मामले में आखिरकार राज्य की शीर्ष अदालत की सख्ती और अवमानना नोटिस जारी होने के बाद सरकार को झुकना पड़ा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 06:48 PM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 06:48 PM (IST)
आखिरकार कोर्ट के आदेश पर प्राचार्य मामले में झुकी सरकार
आखिरकार कोर्ट के आदेश पर प्राचार्य मामले में झुकी सरकार

नैनीताल, (जेएनएन) : प्राचार्य जगदीश प्रसाद के मामले में आखिरकार राज्य की शीर्ष अदालत की सख्ती और अवमानना नोटिस जारी होने के बाद सरकार को झुकना पड़ा है। पिछले 10 महीने से निलंबित चल रहे एमबीपीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जगदीश को शासन ने कोर्ट के रुख के बाद भले ही तैनाती देने का आदेश जारी कर दिया है, लेकिन अब ट्रांसफर एक्ट को दरकिनार किया गया है। उन्हें राजकीय महाविद्यालय कर्णप्रयाग में तैनाती मिली है। निलंबन को लेकर मानसिक यातना झेलने वाला प्राचार्य का परिवार अब दुर्गम में तैनाती का आदेश होने से आहत है।

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31 जनवरी, 2018 से निलंबित चल रहे डॉ. जगदीश के मामले को शासन लटकाता रहा। उनका निलंबन आदेश हाई कोर्ट से निरस्त होने के बावजूद शासन ने कोई फैसला नहीं लिया। वजह यह रही कि निलंबन सरकार के एक मंत्री की प्रतिष्ठा से जुड़ा था। मामले में मंत्री का दबाव होने की चर्चा भी रही। जब सरकार से आस की उम्मीद टूटी तो प्राचार्य को हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। 27 अगस्त को उनके निलंबन आदेश पर स्टे हो गया था, लेकिन सरकार ने फिर भी नहीं सुनी। एक बार फिर वह कोर्ट गए। चार अक्टूबर को कोर्ट ने शासन के निलंबित आदेश को ही निरस्त कर दिया। इस आदेश पर भी शासन ने ध्यान नहीं दिया। डॉ. प्रसाद को नियुक्ति नहीं दी गई। मानसिक कष्ट झेल रहे डॉ. प्रसाद को अदालत की अवमानना की याचिका दाखिल करनी पड़ी। अब कोर्ट से नोटिस मिलने पर सरकार की आंखें खुली और डॉ. प्रसाद को बहाल करने के आदेश कर दिए गए। बहाली के आदेश के बावजूद उन्हें उस एमबीपीजी कॉलेज में नहीं रखा गया, जहां से उन्हें निलंबित किया गया था। उच्च शिक्षा के अपर मुख्य सचिव डॉ. रणबीर सिंह के आदेश के तहत उन्हें राजकीय महाविद्यालय कर्णप्रयाग चमोली में तैनाती दी गई है।

कर्णप्रयाग ट्रांसफर से प्रकरण में आया नया मोड़ : डॉ. जगदीश प्रसाद को राजकीय महाविद्यालय कर्णप्रयाग ट्रांसफर करने से प्रकरण में नया मोड़ आ गया है। जहां पहले ही निलंबित तीनों अधिकारियों व शिक्षकों को उनके पूर्व स्थान पर तैनात किया गया था, वहीं डॉ. प्रसाद को सत्र के मध्य में कर्णप्रयाग भेज दिया गया। जबकि, शासन ने खुद नियम तय किए हैं कि सत्र के मध्य में स्थानांतरण नहीं किया जाएगा।

इसलिए हुए थे निलंबित : एमबीपीजी कॉलेज में वर्ष 2017 के छात्रसंघ चुनाव में एनएसयूआइ से अध्यक्ष प्रत्याशी रही मीमांशा आर्य के प्रवेश को लेकर विवाद हो गया था। प्रथम वर्ष में अनुत्तीर्ण होने के बाद मीमांशा ने दूसरे वर्ष भी रेगुलर प्रवेश लिया था। एबीवीपी की शिकायत पर प्राचार्य डॉ. जगदीश प्रसाद पर कार्रवाई का दबाव था। उन्होंने एडमिशन के समय की गलती बता दी थी। इस मामले में निदेशक डॉ. बीसी मेलकानी, तत्कालीन चीफ प्रॉक्टर रहे राजकीय डिग्री कॉलेज लोहाघाट के प्राचार्य डॉ. एएस उनियाल व शिक्षक एनके लोहनी समेत प्राचार्य डॉ. जगदीश प्रसाद को निलंबित कर दिया था। डॉ. उनियाल को कोर्ट के आदेश के बाद तुरंत ज्वाइन करवा दिया था।  डॉ. मेलकानी व डॉ. लोहनी को भी बहाल कर दिया था।

इसलिए रोक दिया देयकों का भुगतान : अपर मुख्य सचिव ने अपने आदेश में लिखा है कि तत्कालीन अपर सचिव उच्च शिक्षा ने एमबीपीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जगदीश प्रसाद को महाविद्यालय के प्रकाश चद्र पनेरू व मीमांशा आर्य के प्रवेश प्रकरणों पर एक समान कार्यवाही नहीं करने का आरोपी माना। महाविद्यालय में भेदभाव कार्यशैली, पक्षपातपूर्ण रवैया व राजनीतिक दबाव में कार्य किए जाने और महाविद्यालय के निर्माण कार्यों में लापरवाही किए जाने के आदेश के तहत उन्हें निलंबित किया गया था। इसके चलते शासन ने उनके निलंबित समय के तमाम देयकों का भुगतान भी रोक दिया है। अपर मुख्य सचिव का आदेश है, निलंबन अवधि का वेतन भुगतान जांच के बाद नियमानुसार किया जाएगा।

ट्रांसफर एक्ट का ही उल्लंघन कर मुझे कर्णप्रयाग कॉलेज में तैनाती दी है। जबकि, मुझसे पहले प्राचार्य व शिक्षक को उन्हीं के कॉलेज में तैनाती दी गई थी। मेरे साथ ही ऐसा भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है। जबकि, मैं 18 साल दुर्गम की सेवा भी कर चुका हूं। - डॉ. जगदीश प्रसाद, प्राचार्य

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