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मलबे के ढेर पर हुए हैं गोलूधार में सभी निर्माण, कभी भी हो सकते हैं खतरनाक

कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील हैं। भूवैज्ञानिक इसको लेकर चिंतित हैं। भीमताल का गोलूधार भी भू वैज्ञानिक की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्र है।भू वैज्ञानिक डॉ. बहादुर सिंह कोटलिया बताते हैं कि गोलूधार क्षेत्र में वास्तविक रॉक का अभाव है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 12:28 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 12:28 PM (IST)
मलबे के ढेर पर हुए हैं गोलूधार में सभी निर्माण, कभी भी हो सकते हैं खतरनाक
कुमाऊं में सक्रिय भ्रंश व थ्रस्ट भूगर्भीय दृष्‍ट‍ि से बेहद संवेदनशील, कभी भी मच सकते हैं तबाही

भीमताल, जागरण संवाददाता : उत्‍तराखंड भूगर्भीय दृष्टि से उत्‍तराखंड अ‍ति संवेदनशील राज्‍य है। ऐसे में यहां समय-समय पर भूकंप के भी झटके आते रहते हैं। मैदान से लेकर पहाड़ तक थ्रस्‍टों की भरमार है। भूवैज्ञानिक इसको लेकर चिंतित हैं। भीमताल का गोलूधार तो अति संवेदनशील क्षेत्र है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और प्रसिद्ध भू वैज्ञानिक डॉ. बहादुर सिंह कोटलिया बताते हैं कि गोलूधार क्षेत्र में वास्तविक रॉक का अभाव है। इस क्षेत्र में जितने भी भवनों का निर्माण किया गया है वह मलबे के ऊपर है। ऐसे में यह क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से अतिसंवेदनशील है। 

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कुमाऊं में सैकड़ों भ्रंश व थ्रस्ट 

भू वैज्ञानिकों के अनुसार पिथौरागढ़, बागेश्वर व अल्मोड़ा के साथ ही साथ नैनीताल के तमाम क्षेत्र खतरे के मुहाने पर हैं। जिले का पूरा ओखलकांडा ब्लाक तो संवेदनशील श्रेणी में है ही इसके अलावा भीमताल के और अन्य कई हिस्से भी खतरे की जद में है। कोटलिया के मुताबिक कुमाऊं में सैकड़ों भ्रंश व थ्रस्टों की सक्रियता से भूस्खलन की आशंका बढ़ गई है। मंडल के बसौली, कपकोट, धरचूला, मांगति नाला, तवाघाट, बलवाकोट आदि क्षेत्र पहले ही संवेदनशील श्रेणी में गिने जाते रहे हैं। 

भ्रस्‍ट और भ्रंश होते हैं वीक जोंस 

बकौल प्रो. कोटलिया पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में धरचूला बजांग, छिपलाकोट भ्रंश और अल्मोड़ा के कई क्षेत्रों में थ्रस्ट है। इन थ्रस्टों को वीक जोंस भी कहा जाता है। इसके अलावा कपकोट दुलम में मुनस्यारी बेरीनाग थ्रस्ट की मौजूदगी ने कपकोट को अति संवेदनशील बना दिया है। कोटलिया ने सूखढ़ांग, टनकपुर के साथ ही पूरे ओखलकांडा व नैनीताल को संवेदनशील बताया है। 

इसलिए निहाल नाला मचाता है तबाही 

प्रो. कोटलिया कहते हैं, नैनीताल में बलियानाला का रुख अपने मुख्य मार्ग से बदलना भूस्खलन की दृष्टि से खतरनाक है। कैलाखान के पास से गुजरने वाला कुरिया फाल्ट ज्योलीकोट में मिलता है जो अति संवेदनशील है। ज्‍योलीकोट में कुरिया के साथ ही लेक व मेन बाउंड्री फाल्ट मिलते हैं। यही कारण है कि क्षेत्र में निहाल नाला हर वर्ष तबाही मचाता है। उधर बेलवाखान, सूर्याजाला, खूपी, भीमताल, का बोहराकून आमपड़ाव, चोपड़ा, नैनीताल का राजभवन के नीचे वाला क्षेत्र रामगढ़, गरमपानी हरीश ताल, कुडंल, भी अति संवेदनशील श्रेणी में आते हैं।

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