पोकलेन लदे ट्राला के भार से गिरा पुल पांच दिन में तैयार, 70 मजदूरों की मेहनत लाई रंग
मुनस्यारी-मिलम मार्ग पर पोकलेेन ले जा रहे ट्राला के भार से टूटे पुल को फिर से बना लिया गया है। 120 मीटर लंबे गार्डर पुल को बीआरओ ने 70 मजदूरों ने पांच दिन में तैयार कर लिया।
मुनस्यारी (पिथाैरागढ़) जेएनएन : मुनस्यारी-मिलम मार्ग पर सोमवार को पोकलैंड मशीन ले जा रहे ट्राला के भार से टूटे पुल को फिर से बना लिया गया है। सैनरगाड़ नदी पर बने 120 मीटर लंबे गार्डर पुल को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने 70 मजदूरों की मदद से तैयार किया। शनिवार से पुल पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई। बीआरओ के ओसी ने नवनिर्मित पुल का निरीक्षण कर वाहन संचालन प्रारंभ कराया। बता दें कि पुल को निर्धारित समय से काफी पहले बना लिया गया है।
सोमवार की सुबह नौ बजे निर्माणाधीन मुनस्यारी-मिलम मार्ग पर लीलम से आगे सड़क काटने के लिए एक पोकलैंड मशीन को ट्राला से ले जाया जा रहा था। नौ बजे ट्राला सैनर पुल पर पहुंचा। उसके भार को देखते हुए पुल पर तैनात बीआरओ के संतरी ने ट्राला को पुल पर चढ़ाने से मना किया। चालक ने संतरी की बात को नहीं मानते हुए ट्राला पुल पर चढ़ा दिया। आधे पुल पर ट्राला पहुंचते ही पुल टूट गया। पुल के साथ ट्राला और पोकलैंड मशीन भी नदी में गिर गई। हादसे में चालक और ऑपरेटर जख्मी हो गए थे। जिसके बाद दोनों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।
मजदूरों ने लगातार 24 घंटे किया काम
प्रशासन ने पुल टूटने की जांच एसडीएम मुनस्यारी को सौंपी। पुलिस ने चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। वहीं पुल टूटते ही बीआरओ हरकत में आ गया। सोमवार को ही जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से पुल निर्माण सामग्री गार्डर 145 किमी दूर सैनर पहुंंचा दिए गए। सामग्री पहुंचते ही बीआरओ ने युद्धस्तर से कार्य प्रारंभ किया। पुल निर्माण के लिए 70 श्रमिक लगाए गए। अंतिम दिन यानी शुक्रवार को पुल निर्माण कार्य पूरे चौबीस घंटे चला। 70 मजदूरों को दो शिफ्टों में कार्य पर लगाया गया। शनिवार सुबह पुल तैयार हो गया ।
13 गांवों के ग्रामीणों को मिली राहत
पुल तैयार होते ही बीआरओ के ओसी पीके राय ने अधिकारियों के साथ पुल का निरीक्षण किया। पुल निर्माण के लिए वह स्वयं प्रतिदिन मौके पर जमे रहे। शनिवार सुबह से पुल चालू हो गया। पुल के बनते ही चीन सीमा तक का सम्पर्क बहाल हो चुका है। इसके अलावा स्थानीय गांव क्वीरी, जीमिया, साईपोलू, बुई, पातों, सैनर, प्यांगती सहित उच्च हिमालय के 13 गांवों के ग्रामीणों को राहत मिल चुकी है। बीआरओ के ओसी पीके राय ने बताया कि उनके सामने जल्दी से पुल निर्माण की चुनौती थी। पुल टूटते ही तत्काल पुल निर्माण की सामग्री गार्डर पिथौरागढ़ से सोमवार को भी सैनर पहुंचा दी गई । मंगलवार की सुबह से युद्धस्तर से कार्य प्रारंभ हुआ। अंतिम दिन चौबीस घंटे कार्य कर पुल तैयार किया गया। उन्होंने मजदूरों की मेहनत को सलाम किया।
यह भी पढ़ें : भारत ने नेपाल सीमा पर बढ़ाए एसएसबी जवान, धारचूला से कालापानी तक पैनी निगाह