संजीवनी, कीड़ा जड़ी, सालमपंजा जैसी 36 दुर्लभ औषधियां यहां की जा रही हैं संरक्षित
संजीवनी कीड़ा जड़ी सालमपंजा जैसी दुर्लभ औषधियों के बारे में सुना तो बहुत होगा लेकिन इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होगी।
हल्द्वानी, जेएनएन : संजीवनी, कीड़ा जड़ी, सालमपंजा जैसी दुर्लभ औषधियों के बारे में सुना तो बहुत होगा, लेकिन इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होगी। वन अनुसंधान केंद्र ने कड़ी मेहनत के बाद उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में मिलने वाली इन औषधीय वनस्पतियों को रामपुर रोड स्थित मुख्यालय के संग्रहालय में संरक्षित किया है, ताकि आम लोगों को इनके बारे में जानकारी मिल सके।
संबंधित औषधि की फोटो, नाम व मर्ज में उपयोग की पूरी जानकारी बोर्ड पर मिलेगी। सबसे अहम बात यह है कि पौधे के उस भाग को कांचनुमा फ्रेम में फिट किया गया है जिसका इस्तेमाल औषधीय के तौर पर होता है। वन अनुसंधान केंद्र की ओर से पांच जून को रामपुर रोड स्थित मुख्यालय में बायो डायवर्सिटी पार्क का शुभारंभ करने के साथ इंटरप्रिटेशन सेंटर भी बनाया गया।
वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक सेंटर में मैदानी, मध्य हिमालयी व उच्च हिमालयी क्षेत्र में मिलने वाली औषधीय प्रजातियों को डिस्पले पर लगाने के साथ पूर्ण जानकारी भी दी गई है। कैंसर, मधुमेह, हड्डी संबंधी रोग, पेट की बीमारियों, इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ बुखार से लडऩे की क्षमता भी इन वनस्पतियों में होती है।
ये दुर्लभ प्रजातियां मौजूद
संजीवनी, कुटकी, घिंघारू, बुरांश, कीड़ा जड़ी, कूट, अमेष, मीठा विष, त्रायमाण, नागछतरी, अश्वगंधा, अतीस, वन सतुवा, बज्रदंती, सालमपंजा, वन ककड़ी, जटामांसी, बद्री तुलसी, थुनेर, कासनी, झूला, हडज़ोड़, बेल, तिमूर, घृतकुमारी, किलमोड़ा, आंवला।