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नैनीताल जिले की बंद सड़कें बीमार लोगों के लिए मुसीबत, डोली से मरीज लाए जा रहे अस्‍पताल

Closed Roads Of Nainital District आपदा प्रभावित इलाकों में बंद सड़कें व रास्ते बीमारों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई गए हैं। खासकर नैनताल जिले के रामगढ़ ओखलकांडा के ग्रामीण बीमार लोगों को डोली में लाने के लिए मजबूर हो गए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 09:56 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 10:31 AM (IST)
नैनीताल जिले की बंद सड़कें बीमार लोगों के लिए मुसीबत, डोली से मरीज लाए जा रहे अस्‍पताल
नैनीताल जिले की बंद सड़कें बीमार लोगों के लिए मुसीबत, डोली से मरीज लाए जा रहे अस्‍पताल

नैनीताल, जागरण संवाददता : आपदा प्रभावित इलाकों में बंद सड़कें व रास्ते बीमारों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई गए हैं। खासकर नैनताल जिले के रामगढ़, ओखलकांडा के ग्रामीण बीमार लोगों को डोली में लाने के लिए मजबूर हो गए हैं। पलायन की मार झेल रहे इन गांवों की आपदा के बाद की तस्वीरों ने सरकार व शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।

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नैनीताल जिले में आपदा के एक सप्ताह बाद भी 40 से अधिक ग्रामीण सड़कें मलबा आने, भूस्खलन की वजह से बन्द पड़े हैं। सरकार व प्रशासन का फोकस फिलहाल युद्धस्तर पर मुख्य मार्गो को खोलने का है। पूरी सरकारी मशीनरी झोंकने के बाद भी दूरस्थ इलाकों की महत्वपूर्ण सड़कों को अब तक खोंलने के प्रयास शुरू नहीं हो सके हैं। जिससे इन गांवों में बीमार बुजुर्ग को अस्पताल तक पहुंचना कठिन हो गया है। पलायन की मार झेल रहे इन गांवों में पहले ही युवा व अधेड़ आबादी कम है, इन परिस्थितियों में यह संकट बड़ा हो गया है।

रामगढ़ के उमागढ़ जैसे समीपवर्ती गांव में रसूखदार परिवारों के बुजुर्ग तक ग्रामीणों पर निर्भर हो गए हैं। उमागढ़ की प्रधान रेखा जोशी के अनुसार सड़क के साथ ही गांव तक के पैदल रास्ते पूरी तरह अवरुद्ध हैं। दो दिन जैसे जैसे दो बुजुर्ग बीमारों को अस्पताल पहुंचाया गया। प्रधान के अनुसार पब्लिक का आक्रोश झेलना अब मुश्किल हो गया है। जनता समझ रही है कि प्रधान कुछ नहीं कर रही, जबकि विभागीय व प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुन नहीं रहे हैं।

उधर ओखलकांडा के थलाड़ी के लिए बंद सड़क को अब तक खोला नहीं जा सका है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश बिष्ट के अनुसार सड़क बंद होने से गांव की दो दुकानों में समान खत्म हो गया है। जरूरी सामान की किल्लत होने लगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोनिवि द्वारा पब्लिक की परेशानी के बजाय राजनीतिक दबाव में सड़कों को खोंलने के लिए बुलडोजर भेजे जा रहे हैं। उधर जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल का कहना है कि बंद सड़कों को युद्धस्तर पर खोला जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों के रास्तों को खोंलने के लिए ग्राम पंचायतों को मदद दी जा रही है।

छह दिन बाद खुला अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे, खतरा बरकरार

तीन दिन तक मूसलधार बारिश में ध्वस्त हुए अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे को छह दिन बाद आवाजाही के लिए तैयार कर लिया गया है। हालांकि अभी खतरा बरकरार है। हाईवे पर जगह-जगह भूस्खलन से मलबा व बड़े-बड़े बोल्डर गिरे हैं। 18 अक्टूबर से शुरू हुई मूसलधार बारिश से अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे जगह-जगह पर ध्वस्त हो गया था। दोपांखी, भोर्या बैंड तथा लोहाली क्षेत्र में हाईवे का दो से तीन सौ मीटर हिस्सा कोसी की बाढ़ की भेंट चढ़ गया। इस दौरान कई वाहन जहां-तहां फंस गए। मौसम साफ होने के बाद गुरुवार से एनएच ने युद्ध स्तर पर राहत कार्य शुरू कराया। करीब आधा दर्जन से ज्यादा मशीनें हाईवे खोलने के लिए लगाई गई हैं।


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