Move to Jagran APP

World Paper Bag Day 2021 : हल्द्वानी निवासी डा. प्रभात व रेवती ने पॉलीथिन के खिलाफ छेड़ा अभियान

World Paper Bag Day प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग धरती के लिए गंभीर खतरा है। प्लास्टिक की जगह पेपर बैग का चलन बढ़ाने के उद्देश्य से 12 जुलाई को विश्व पेपर बैग दिवस मनाया जाता है। बायोडिग्रेडेबल व इको फ्रेंडली होने से पेपर बैग पर्यावरण संरक्षण में मददगार है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 12 Jul 2021 06:38 AM (IST)Updated: Mon, 12 Jul 2021 06:40 AM (IST)
World Paper Bag Day 2021 : हल्द्वानी निवासी डा. प्रभात व रेवती ने पॉलीथिन के खिलाफ छेड़ा अभियान
World Paper Bag Day 2021 : हल्द्वानी निवासी डा. प्रभात व रेवती ने पॉलीथिन के खिलाफ छेड़ा अभियान

गणेश पांडे, हल्द्वानी : World Paper Bag Day 2021 : प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग धरती के लिए गंभीर खतरा है। प्लास्टिक की जगह पेपर बैग का चलन बढ़ाने के उद्देश्य से 12 जुलाई को विश्व पेपर बैग दिवस मनाया जाता है। बायोडिग्रेडेबल व इको फ्रेंडली होने से पेपर बैग पर्यावरण संरक्षण में मददगार है। पॉलीथिन का उत्पादन व प्रयोग रोकने के लिए सरकारों ने हाल के वर्षों में कुछ नियम बनाए, लेकिन पालन कराने की इच्छाशक्ति के अभाव में कुछ विशेष बदलाव नजर नहीं आया। दूसरी ओर शहर में कुछ उदाहरण ऐसे हैं जिन्होंने खुद की प्रतिज्ञा व दृढ़ इच्छाशक्ति से पॉलीथिन से तौबा कर ली। आज यह समाज के लिए प्रेरणा बने हैं।

loksabha election banner

लॉकडाउन जैसी सख्ती की जरूरत : डा. प्रभात

कुसुमखेड़ा विवेक विहार निवासी डा. प्रभात उप्रेती ने 1999 में पिथौरागढ़ पीजी कॉलेज में कार्यरत रहते हुए पॉलीथिन के खिलाफ अभियान छेड़ा। मुहिम रंग लाई और लोगों ने पॉलीथिन बाबा नाम दे दिया। डा. उप्रेती तब पुरानी पैंट, कपड़ों से झोले तैयार करते थे। आज भी घर से निकलते हैं तो कंधे पर झोला लटकाए। वह कहते हैं पॉलीथिन मूल सोर्स से हटाया जाए। उपयोग करने वालों पर लॉकडाउन जैसी सख्ती हो। बिना सख्ती के देश नहीं सुधर सकता। समाज को बाजार आकर्षित करता है, इसलिए जूट, कपड़ा, घास के रंगीन, आकर्षक बैग तैयार किए जाएं, ताकि यह फैशन का रूप ले सके।

बदलाव के लिए बुराई तो लेगी होगी : रेवती

कूड़े के खिलाफ जनचेतना जगाने वाली रेवती कांडपाल ने 2013 में कपड़े का थैला अपनाया तो फिर नहीं छोड़ा। राह चलते हुए भी पॉलीथिन उपयोग करने वाले को टोक देती हैं। बार-बार टोकने का असर है कि कालोनी में सब्जी, फल बेचने आने वाले ठेले वाले ग्राहक से टोकरी, थैला लाने की मांग करते हैं। रेवती कहती हैं लोग बुराई लेना नहीं चाहते, लेकिन समाज में बदलाव के लिए बुराई लेनी पड़ेगी। दुनिया पॉलीथिन इस्तेमाल कर रही, मेरे छोडऩे से क्या होगा कि मानसिकता का त्‍याग सबसे पहले जरूरी है। बेहतर तो ये है कि हर कालोनी में एक रेवती आगे निकलकर आए।

स्वाद है जिंदगी

कुछ बात है जिंदगी।

ये हैं जादू के झोले

बाजार के लिए इन्हें

लटका के देखिए।

पॉलीथिन से अटी पड़ी जिंदगी

कुछ शर्मा के देखिए।

खा चुके दुनिया का बहुत

कुछ तो आने वालों के लिए

बचा के देखिए।

-डा. प्रभात उप्रेती

डराते हैं ये आंकड़े

उत्तराखंड में हर रोज 500 टन प्लास्टिक कचरा उत्पन्न होता है। जबकि 20 टन प्लास्टिक कूड़ा सिर्फ हल्द्वानी में उत्पन्न होता है जबकि 10 प्रतिशत प्लास्टिक का की पुनर्चक्रण हो पाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.