International family day 2021: 66 वर्ष से संयुक्त परिवार की मिसाल है मित्तल परिवार, एक छत के नीचे रहती है चार पीढ़ी
International family day 2021 बड़े-बुजुर्गों का मान-सम्मान और आज के दौर में भी परिवार को बिखरने न देने की सूझबूझ वाकई बेमिसाल है। बाबूजी के परपोते-परपोतियां भी उसी शिद्दत से कहना मानते हैं। 18 लोगों का इस संयुक्त परिवार की दिनचर्या नियम-अनुशासन से बंधी हैै।
जीवन सिंह सैनी, बाजपुर। International family day 2021: सांझे चूल्हे की विरासत संभालकर रखना कोई बाजपुर के मित्तल परिवार से सीखे। मित्तल साहब ने 66 वर्षों से परिवार को एक सूत्र में बांधकर रखा है। घर में आज भी बाबू जी की ही चलती है। सलाह-मशविरा सबसे होता है, राय सबकी ली जाती है मगर अंतिम फैसला सर्वसम्मति से श्रीनिवास मित्तल का ही होता है। बड़े-बुजुर्गों का मान-सम्मान और आज के दौर में भी परिवार को बिखरने न देने की सूझबूझ वाकई बेमिसाल है। बाबूजी के परपोते-परपोतियां भी उसी शिद्दत से कहना मानते हैं। 18 लोगों का इस संयुक्त परिवार की दिनचर्या नियम-अनुशासन से बंधी हैै।
रामराज रोड में एसवीआइ के नजदीक के निवासी श्रीनिवास मित्तल मूलरूप से राजस्थान के ग्राम लंबोर बड़ी जनपद चुरू के रहने वाले हैं। अंग्रेजों के समय से ही उनके पिता गूंगनराम का खासा नाम था। तीन भाइयों में सबसे छोटे श्रीनिवास अपने बड़े भाई बनवारी लाल माखरिया के साथ वर्ष 1955 में बाजपुर आ गए। जमा पूंजी से कपड़े का कारोबार शुरू किया। तब उनकी आयु मात्र 16 वर्ष थी। बाल्यावस्था में विवाह हो गया। कुछ समय बाद भाई बनवारी लाल वापस राजस्थान चले गए और पूरा कारोबार उन्होंने अकेले संभालना शुरू कर दिया। उनके पास अधिकांश किसान ही आया करते थे, जिन्हें अपने कारोबार के बैनामे लिखाने काशीपुर जाना पड़ता था। उनकी परेशानी को देखते हुए लेखन कार्य भी 1965 में शुरू कर दिया, आज उनकी तीसरी पीढ़ी यह काम करती हैै।
13 वर्षों तक वह इंटरमीडिएट कॉलेज बाजपुर के कोषाध्यक्ष, करीब 20 वर्ष तक श्रीरामभवन धर्मशाला के व्यवस्थापक तथा अनेक संस्थाओं में कोषाध्यक्ष व अन्य पदों पर पदाधिकारी रहे। वर्तमान में एक ही छत के नीचे उनके दो बेटे, दो पुत्रवधू, छह पोते-पोतियां, तीन पोत्रवधू, तीन पड़पोते-पड़पोतियां सहित कुल 18 लोगों का परिवार लेखन कार्य के साथ सरिया-सीमेंट, स्टोन क्रशर, कृषि कार्य को अंजाम दे रहे हैं। जबकि तीन बेटियों का विवाह कर उनके भरे-पूरे परिवार ऊधम ङ्क्षसह नगर में ही बसे हुए हैं।
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