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Taigor Birthday Special : रामगढ़ की वादियों में रचे साहित्य ने गुरुदेव को दिलाया था नोबल, अधूरा रह गया विश्वभारती यूनिवर्सिटी का सपना

Taigor Birthday Special गीतांजलि के कुछ अंश रामगढ़ (नैनीताल) की सुरम्य वादियों में रचे थे। रामगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य से प्रभावित कवि रबींद्रनाथ टैगोर ने अपने अंग्रेज मित्र डेरियाज से भूमि खरीद ली थी। उनकी मंशा विश्वभारती विवि की स्थापना करने की थी यह सपना पूरा न हो सका।

By Prashant MishraEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 02:22 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 05:49 PM (IST)
Taigor Birthday Special : रामगढ़ की वादियों में रचे साहित्य ने गुरुदेव को दिलाया था नोबल, अधूरा रह गया विश्वभारती यूनिवर्सिटी का सपना
1903 में पत्नी मृणालिनी के देहावसान के बाद टैगोर 12 वर्षीय बेटी रेनुका के साथ रामगढ़ आए।

गणेश पांडे, हल्द्वानी। Taigor Birthday Special : विश्वविख्यात कवि और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर की आज जयंती है। जिस गीतांजलि रचना के लिए उन्हें नोबल पुरस्कार से नवाजा गया गुरुदेव ने उसके कुछ अंश रामगढ़ (नैनीताल) की सुरम्य वादियों में रचे। रामगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य से प्रभावित कवि रबींद्रनाथ टैगोर ने अपने अंग्रेज मित्र डेरियाज से भूमि खरीद ली थी। उनकी मंशा रामगढ़ में विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना करने की थी, दुर्भाग्य से यह सपना पूरा न हो सका।

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(नैनीताल के रामगढ़ में टैगोर टाॅप)

सात मई 1861 को कोलकाता में जन्मे टैगोर 1901 में पहली बार रामगढ़ पहुंचे। अपनी पहली रामगढ़ यात्रा के दौरान ही गुरुदेव ने गीतांजलि के कुछ अहम अंश लिखे। यहां की मनोरम छटा से अभिभूत हुए तो 40 एकड़ जमीन खरीद ली। जगह को नाम दिया हिमंती गार्डन। बाद में यह स्थान टैगोर टॉप नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1903 में पत्नी मृणालिनी के देहावसान के बाद टैगोर 12 वर्षीय बेटी रेनुका के साथ रामगढ़ आए। रेनुका टीबी ग्रस्त थी और बाद में उनका निधन हो गया। इससे गुरुदेव काफी दुखी हुए। कलेजे समान बेटी के बिछुड़ने से दुखी टैगोर ने शिशु नामक कविता रची। गीतांजलि की रचना के लिए 1913 में टैगोर को साहित्य का नोबल दिया गया। उत्तराखंड से बेहद आत्मीय लगाव रखने वाले टैगोर ने सात अगस्त 1941 को संसार से विदा ले ली।

शिक्षाविद् प्रो. अतुल जोशी गुरुदेव और टैगोर टाॅप पर अध्ययन करने में जुटे हैं। प्रो. जोशी के मुताबिक टैगोर रामगढ़ में विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना करना चाहते थे। बाद में किसी कारण से शांति निकेतन कोलकाता में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई। रामगढ़ में विवि की स्थापना हुई होती तो कुमाऊं शिक्षा के हब के रूप में दुनिया के सामने होता। शांति निकेतन ट्रस्ट फॉर हिमालय रामगढ़ के टैगोर टॉप को संग्रहालय व शैक्षणिक संस्थान के रूप में विकसित करने के लिए प्रयासरत है।

महादेवी वर्मा भी हुई थीं प्रभावित

कवयित्री महादेवी वर्मा भी टैगोर से प्रेरित थीं। उन्होंने रामगढ़ में घर बनाया। बताते हैं कि महादेवी वर्मा 1933 में शांति निकेतन गईं। रामगढ़ को लेकर टैगोर व महादेवी में विस्तार से चर्चा हुई। 1936 में रामगढ़ के निकट उमागढ़ में महादेवी वर्मा ने मीरा कुटीर बनाया। यह जगह महादेवी वर्मा सृजनपीठ नाम से संरक्षित है।

गौरा को मिला था शांति निकेतन जाने का मौका

रबींद्रनाथ टैगोर प्रकृतिप्रेमी थे। दास पंडित ठुलघरिया के आतिथ्य में टैगोर 1927 में अल्मोड़ा आए। टैगोर तीन से चार बार अल्मोड़ा आए। गुरुदेव की प्रेरणा से प्रसिद्ध लेखिका गौरा पंत शिवानी को अध्ययन के लिए शांति निकेतन जाने का अवसर प्राप्त हुआ। अल्मोड़ा में टैगोर जिस भवन में रुके, उसे टैगोर भवन नाम से जाना जाता है।

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