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Captain Hari Singh Thapa Passes Away : उत्तराखंड के पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता व अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज कैप्‍टन हरी सिंह थापा का निधन

Captain Hari Singh Thapa Passes Away बॉक्सिंग के पितामह अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज कैप्‍टन हरी सिंह थापा का निधन हो गया है। 89 वर्षीय कै. थापा विगत कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। रविवार को दोपहर 12 बजे उन्होंने अपने नैनी-सैनी स्थित आवास में अंतिम सांस ली।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 07 Feb 2021 05:52 PM (IST)Updated: Sun, 07 Feb 2021 05:52 PM (IST)
Captain Hari Singh Thapa Passes Away : उत्तराखंड के पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता व अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज कैप्‍टन हरी सिंह थापा का निधन
Captain Hari Singh Thapa Passes Away : उत्तराखंड के पहले द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता मुक्केबाज कैप्‍टन हरी सिंह थापा का निधन

पिथौरागढ़, जागरण संवाददाता : Captain Hari Singh Thapa Passes Away : बॉक्सिंग के पितामह अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज कैप्‍टन हरी सिंह थापा का निधन हो गया है। 89 वर्षीय कै. थापा विगत कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। रविवार को दोपहर 12 बजे उन्होंने अपने नैनी-सैनी स्थित आवास में अंतिम सांस ली। सोमवार को स्थानीय रामेश्वर घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। कै. थापा के निधन पर खेल जगत, राजनीतिक, सामाजिक, व्यापारिक आदि क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।

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कै. हरी सिंह थापा का जन्म 14 अगस्त 1932 को यूपी के झांसी में हुआ था। उनके पिता स्व. जीत सिंह थापा ब्रिटिश इंडियन ट्रूप्स में सेवारत थे और माता स्व. सीमा देवी गृहिणी थीं। कै. थापा ने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव के ही प्राइमरी पाठशाला सेरी कुम्डार से ग्रहण की। इसके बाद वह अपने पिता के साथ यूपी के मऊ चले गए। यूपी में हाईस्कूल में अध्ययन के दौरान मात्र 15 वर्ष की उम्र में वह वर्ष 1947 में भारतीय थल सेना के सिग्नल कोर की ब्वाइज कंपनी में भर्ती हो गए। बचपन से ही खेलों के प्रति विशेष रुचि रखने वाले हरि सिंह ने सेना में फुटबॉल, तैराकी, मुक्केबाजी आदि खेलों में भाग लिया। इस बीच बॉक्सिंग कोच एजी डीमैलो की प्रेरणा से उन्होंने बॉक्सिंग को अपना मुख्य खेला बना लिया। 

कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 1950 से 1957 तक बॉक्सिंग मिडिल वेट में सात वर्ष तक लगातार स्वर्ण पदक जीता। 1957 में रंगून में आयोजित दक्षिण पूर्व एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। इसके बाद 1958 में टोक्यो में आयोजित एशियाड खेलों में रजत पदक और इसी वर्ष लंदन में हुए कॉमनवेल्थ गेम में भी प्रतिभाग किया। उन्होंने वर्ष 1961 से 1965 तक सर्विसेज के मुख्य प्रशिक्षक के रू प में सेना में अपनी विशेष सेवाएं दीं। वर्ष 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी उन्होंने अपने अद्भुत शौर्य का प्रदर्शन किया। सेना की ओर से उन्हें रक्षा पदक, संग्राम पदक, सेना मेडल, इंडियन इंडिपेंडेंट पदक व नाइन इयर लौंग सेवा पदक दिया गया। वर्ष 1975 में वह ऑनरेरी कैप्टन पद से सेवानिवृत्त हुए। 

वर्ष 2013 में मिला राज्य का पहला द्रोणाचार्य पुरस्कार

सेवानिवृत्ति के बाद कै. थापा ने अपने गृह जनपद देव सिंह मैदान में बच्चों को निश्शुल्क बॉक्सिंग की कोचिंग देना शुरू  किया। उनके कुशल प्रशिक्षण और मार्गदर्शन में सीमांत जिले से कई प्रतिभावान राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुक्केबाज निकलकर सामने आए हैं। बॉक्सिंग गेम में विशेष ख्याति प्राप्त करने वाले कै. थापा को वर्ष 2013 में उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य का पहला द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।  

सीमांत जनपद में शोक की लहर

कै. हरी सिंह थापा के निधन पर सीमांत जनपद में शोक की लहर दौड़ गई है। रविवार को निधन का समाचार मिलते ही विभिन्न संगठनों के लोगों ने उनके आवास पहुंचकर उनके शिक्षक पुत्र चंद्र सिंह थापा को ढांढस बंधाया। कै. थापा के निधन पर जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोहरा, विधायक चंद्रा पंत, नगरपालिकाध्यक्ष राजू रावत, पूर्व सांसद महेंद्र सिंह माहरा, पूर्व विधायक मयूख महर, कांग्रेस पूर्व प्रदेश महामंत्री जगत सिंह खाती, मथुरा दत्त जोशी, भुवन जोशी, मोहन लाल चौधरी, जिला क्रीड़ाधिकारी संजीव कुमार पौरी समेत विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक, खेल प्रमियों ने गहरा शोक प्रकट किया है।


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