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World Hindi Day : विदेश में हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रहीं डा. करुणा, थाई के रामायण का हिंदी में किया अनुवाद

World Hindi Day कुमाऊं में ऐसे हिंदी के लेखक हुए हैं जो विदेश में हिंदी का परचम लहराने में जुटे हैं। रामनगर की डाॅ. करुणा शर्मा ने थाईलैंड के विद्यार्थियों को न केवल हिंदी सिखाई बल्कि हिंदी शब्दों के जरिए भारतीय संस्कृति व सभ्यता से भी परिचय कराया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 08:12 AM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 08:12 AM (IST)
World Hindi Day : विदेश में हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रहीं डा. करुणा, थाई के रामायण का हिंदी में किया अनुवाद
विदेश में हिंदी का प्रचार-प्रसार कर रहीं दिखा डा. करुणा, थाई के रामायण का हिंदी में किया अनुवाद

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : कुमाऊं में ऐसे हिंदी के लेखक हुए हैं, जो विदेश में हिंदी का परचम लहराने में जुटे हैं। रामनगर की डाॅ. करुणा शर्मा ने थाईलैंड के विद्यार्थियों को न केवल हिंदी सिखाई, बल्कि हिंदी शब्दों के जरिए भारतीय संस्कृति व सभ्यता से भी परिचय कराया। रामनगर में वर्ष 1957 में जन्मी डा. करुणा शर्मा की प्रारंभिक पढ़ाई अपने ही शहर में हुई। कुमाऊं विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी व संस्कृत में परास्नातक के बाद पीएचडी हासिल की।

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हिंदी के प्रति जीवन समर्पित करने वाली डा. शर्मा बताती हैं, जब विद्यार्थियों को उनकी रुचि का ध्यान रखते हुए पढ़ाया जाए, तो वह जल्दी सीखते हैं। उन्होंने थाईलैंड में यही प्रयोग किया। क्योंकि पढ़ाते समय वहां के बच्चे बहुत मौजमस्ती करते हैं। उन्हें डांट नहीं सकते हैं। ऐसे में उन्हें हिंदी पढ़ाना और इसके प्रति रुचि जगाना बड़ा काम होता है। इसके लिए तकनीक का सहारा लिया। संवाद के साथ ही गीतों के जरिये शब्द याद कराए।

शब्दों के साथ सांस्कृतिक पक्ष को समझाना जरूरी

डा. करुणा शर्मा कहती हैं, विदेश में हिंदी शिक्षण के समय छात्रों को उपयुक्त शब्द चयन, शब्द का अर्थ, शब्द की प्रयोगधर्मिता के साथ ही सुर भी सिखाना चाहिए। उदाहरण कि लिए शिक्षक ने छात्र को नमस्ते कहना और जोड़ना तो सिखा लिया, लेकिन नमस्ते कहते हुए उसका सुर यदि ठीक नहीं हुआ तो उसका नमस्ते कहना अर्थहीन हो जाएगा। जब तक नमस्ते के मूल में निहित सांस्कृतिक पक्ष को छात्र आत्मसात नहीं करता, तब तक वह सटीक प्रयोग नहीं कर सकता।

ये पुस्तकें हैं प्रकाशित

डा. करुणा ने रामायण का थाई रूप रामकीर्ति का अनुवाद किया है। इसे रामकियन कहते हैं। थाई एकता सूत्र का भी अनुवाद किया है। इसके अलावा कमलेश्वर के कथा साहित्य में स्त्री विमर्श, उपन्यासों के झरोखों से, श्री रामचंद्र का दिव्य मार्गदर्श आदि।

मारीशस में युवाओं को हिंदी के लिए प्रेरित करती हैं सविता

बागेश्वर की रहने वाली लेखक एवं पत्रकार सविता तिवारी मारीशस में रहकर हिंदी की सेवा कर रही हैं। वह इंटरनेट मीडिया के जरिये देश के युवाओं को हिंदी भाषा सीखने को लेकर प्रेरित करती है। वह अलग-अलग संस्थाओं की ओर से आयेाजित कार्यक्रम में भारतीय हिंदी लेखकों की रचनाओं को भी पढ़ती हैं, ताकि वहां की नई पीढ़ी हिंदी के प्रति जागरूक रहे। सविता बताती हैं, वह हिंदी सिखाने के लिए अलग-अलग प्रयोग करती हैं। वह भारतीय लेखकों की रचनाओं को मारीशस में और मारीशस के लेखकों की रचनाओं को भारतीयों के बीच रखकर सांस्कृतिक सेतु का भी काम करती हैं।


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