बागेश्वर के 50 वर्षीय शिक्षक ने कायम की स्वरोजगार की मिसाल
दुलम गांव के भगवत कोरंगा 50 साल की उम्र में युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं।
बागेश्वर, घनश्याम जोशी: मन में यदि कुछ करने का जज्बा हो तो उम्र भी आड़े नहीं आती है और इंसान सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जाता है। इतना ही नहीं वह अपने आसपास के वातारण को भी अपनी कामयाबी के सुंगध से महका देता है। कुछ ऐसा ही दुलम गांव के भगवत कोरंगा कर रहे हैं। 50 साल की उम्र में उनका हौंसला युवाओं को प्रेरित कर रहा है।
1988 में विद्या भारती और आएसएस से जुड़े और जिले के दुर्गम गांव असों, फरसाली, भराड़ी क्षेत्र के स्कूलों में 32 साल तक छात्र-छात्राओं का भविष्य तरासा। आरएसएस की तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण लेकन विभिन्न दायित्वों का निर्वाह भी किया। शिक्षा आचार्य से लेकर सरस्वती शिशु मंदिर में प्रधानाचार्य पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त के बाद अब कपकोट तहसील के दुलम गांव निवासी भगवत कोरंगा ने मशरूम, फल, सब्जी उत्पादन में रिकार्ड तोड़ कामयाबी हासिल की है। वह लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन 20 किलो से अधिक मशरूम बाजार को मुहैया कराया। तीन सौ रुपये प्रतिकिलो मशरूम बिकने से उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हो रही है। उद्यान विभाग उन्हें हरसंभव मदद कर रहा है जबकि परिवार ने मशरूम खेती का विरोध किया। 50 साल की उम्र में वे खेती की तरफ बढ़े हैं और गेंदा फूल की खेती भी कर रहे हैं। सुदूरवर्ती गांवों के युवाओं को खेती-किसानी का प्रशिक्षण दे रहे हैं। कोरंगा ने कहा कि उनके पिता दयाल सिंह कोरंगा 85 साल के हैं और वे मशरूम को घर के भीतर उगाता देख भड़क गए। उन्हें काफी समझाया गया और अब वे मेरी मेहनत से खुश हैं। मशरूम को पहले एक खास वर्ग की खाता था, लेकिन अब इसकी महत्ता लोगों के समझ में आई है।
इन गांवों में खोले शिक्षा मंदिर
असों, हरसिला, देवलचौंरा, पोथिंग, तप्तकुंड, दुलम, लीती, सूपी, पोथिंग, नामतीचेटाबगड़ आदि स्थानों पर शिशु मंदिरों की स्थापना की। वर्तमान में एकल विद्यालय के अध्यक्ष हैं और पिछले तीन साल से सरयू, सरमूल, सौधारा की यात्रा के लिए पर्यटकों को लुभा रहे हैं और वहां के विकास के लिए संघर्ष भी कर रहे हैं।
युवाओं को दे रहे प्रशिक्षण
युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए वे मशरूम और गेंदा फूल का उत्पादन भी अपने गांव में करने लगे हैं। रोजना करीब 20 किलो मशरूम इस ठंड में बाजार को उपलब्ध करा रहे हैं। गेंदा फूल की खेती के लिए वे ग्राम्या, उद्यान विभाग और ज्योलीकोट से प्रशिक्षण लेने के बाद वे रीठाबगड़, दुलम, पोथिंग, बमसेरा आदि गांवों के युवाओं को प्रशिक्षण भी दे रहे हैं।
वैज्ञानिकों का सहयोग
कृषि विज्ञान केंद्र काफलीगैर के वैज्ञानिक डा. हरीश जोशी ने उन्हें इस काम के लिए भरपूर सहयोग प्रदान किया है और वे आज स्वरोजगार में युवाओं को पछाड़ रहे हैं। ढिगरी, बटन मशरूम की खेती उनके घर के भीतर लहलहा रही है।
मशरूम और फूलों की खेती किसानों की आर्थिकी मजबूत कर रहे हैं। दुलम गांव के किसान भगवत शून्य डिग्री तापमान के बावजूद भी मशरूम उत्पादन कर रहे हैं और युवाओं के ब्रांड बन गए हैं। विभाग उन्हें हरसंभव मदद करेगा। -रामकुशल सिंह, जिला उद्यान अधिकारी।