इंसानों के साथ सांपों की जिंदगी बचा रहा रामनगर का कश्यप परिवार
रामनगर के रहने वाले कश्यप परिवार इंसानों व सांपो दोनोंं की सुरक्षा करने में जुटा है।
रामनगर, जेएनएन: किसी के घर पर जबजहरीला सांप निकल आता है। तो अक्सर लोग उसको पकड़ने की जगह उसे जान से मारने का प्रयास करते हैं। लेकिन रामनगर में एक शख्स ऐसा है जिसका पूरा परिवार इंसानों व सांपो दोनो की सुरक्षा करने में जुटा है। मोहल्ला बंबाघेर निवासी चन्द्रसेन कश्यप जहरीले से जहरीले सांप को बड़े आराम से पकड़ लेते हैं। अब तो उनके बच्चे भी जहरीले सापों से मानो दोस्ती कर बैठे हो।शहर में जब भी किसी के घर सांप घुस जाए तो लोग चन्द्रसेन या उनके बच्चो को फोन करके बुलाते हैं। लोगो की एक आवजपर वह घर मे साँप पकड़ने पहुँच जाते है। अब तो रामनगर वन विभाग के कर्मचारी भी सांप पकड़ने के लिए चन्द्रसेन को ही बुलाते हैं। वह 20 सालो से सांप पकड़ रहे है। वह अब तक हजारों सांप को पकड़कर वन विभाग की मदद से जंगल में छोड़ चुके हैं।
हर साल पकड़े हैं 200 से 250 सांप
चन्द्रसेन ने बताया कि जब वह 20 वर्ष के थे। लोग सांपो को मारते थे। इसलिए सांपों के सरंक्षण के लिए बीड़ा उठाया। अब तक कितने सांप पकड़ चुके हैं, इस सवाल पर चन्द्रसेन का कहना है कि यह तो याद नहीं कि अभी तक कितने सांप पकड़ चुके हैं। लेकिन हर साल 200 से 250 सांप पकड़ लेते हैं। उनको सिर्फ रामनगर ही नहीं अन्य जगह से भी सांप पकड़ने को बुलाते हैं। वन विभाग भी कर्मचारियों को प्रशिक्षण के लिए रामनगर, हल्द्वानी, कालागढ़ बुलाते हैं। सांप को पकड़ने के बाद एकांत में सुरक्षित स्थान पर छोड़ आते हैं। सांप पकड़ने के साथ ही सांप के द्वारा काटे हुए व्यक्ति का इलाज भी करते हैं।
बच्चे भी सीखे सांप पकड़ने का हुनर
चन्द्रसेन के सांप पकड़ने के हुनर को अब उनके बच्चे अर्जुन कश्यप,अनुज कश्यप, किशन कश्यप भी सीख गए हैं। चन्द्रसेन के व्यस्त रहने पर वह अपने बच्चों को सांप पकड़ने के लिए रवाना कर देते हैं। दोनो बच्चे सांप सरंक्षण में अपना योगदान दे रहे हैं। अजगर, कोबरा, कॉमन ट्रीनकेट स्नेक, वुल्फ स्नेक, करैत, धामन, बुफ़ स्ट्रिपड कीलबक स्नेक, चेकर्ड कीलबक स्नेक आदि साँप हैं जिनको पकड़ लेना उनके बॉये हाथ का खेल है।