देश में प्रति व्यक्ति 28 पेड़ और कुमाऊं में साढ़े पांच हेक्टेयर जंगल, जरूरत है इसे सहेजने की
जंगल को लेकर चिंतित सभी है लेकिन संरक्षण को लेकर काम करने वाले ज्यादा नहीं। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति व्यक्ति 28 पेड़ों का आंकड़ा है जबकि कनाडा में 8953 पेड़।
हल्द्वानी, जेएनएन : जंगल और हरियाली को लेकर चिंतित सभी है लेकिन उसके संरक्षण को लेकर काम करने वाले ज्यादा नहीं। यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रति व्यक्ति 28 पेड़ों का आंकड़ा है जबकि कनाडा में 8953 पेड़। हालांकि, जंगल बचाने और बढ़ाने को लेकर कुमाऊं की स्थिति देश के मुकाबले काफी बेहतर है। छह जिलों वाले इस मंडल में प्रति व्यक्ति साढ़े पांच हजार हेक्टेयर जंगल आता है। हरियाली के बढ़ते ग्राफ की बड़ी वजह चार पर्वतीय जिलों में कम आबादी भी है। वहीं, पर्यावरण संरक्षण को लेकर वन अनुसंधान द्वारा बायो डायवर्सिटी पार्क में बकायदा यूएन की इस रिपोर्ट की जानकारी बोर्ड के माध्यम से देकर लोगों से अपील की गई है कि मानसून में हर शख्स को पांच पेड़ लगाने चाहिए।
विदेशों में देखिए प्रतिव्यक्ति पेड़ों का ग्राफ
2011 की जनगणना के मुताबिक कुमाऊं की आबादी 4228998 थी। जबकि जंगल का क्षेत्रफल 750948 हेक्टेयर। प्रतिव्यक्ति आंकड़ें पर नजर दौड़ाए तो साढ़े पांच हेक्टेयर से ज्यादा होगा। कुमाऊं में तीन सर्किल है जिसके अंडर में 11 वन प्रभाग आते हैं। इसमें सबसे बड़ी डिवीजन पिथौरागढ़ और सबसे छोटी सिविल सोयम अल्मोड़ा को मानी जाती है। वन अनुसंधान के मुताबिक रूस में प्रति व्यक्ति 4461, अमेरिका में 716 व चीन में 102 पेड़ों का ग्राफ है। वहीं, हर पांच साल में एक डिग्री तापमान बढ़ रहा है। ऐसे में पौधरोपण के जरिये हरियाली के संरक्षण को व्यक्तिगत योगदान देना ही होगा।
वन प्रभाग हेक्टेयर जंगल
बागेश्वर 66343.820
अल्मोड़ा 61201.640
सोयम अल्मोड़ा 11108
पिथौरागढ़ 220034.120
चंपावत 66097.286
नैनीताल 60114.570
हल्द्वानी 59578.800
तराई पूर्वी 82429.920
तराई पश्चिमी 34806.626
तराई केंद्रीय 40496.970
रामनगर 48736.900
नोट : कुमाऊं की इन 11 वन प्रभागों का हिस्सा दो से तीन जिलों तक की सीमा में भी आता है।
मानसून सीजन सबसे बेहतर
पहाड़ से लेकर मैदान तक इस समय बारिश हो रही है। जमीन में नमी की मात्रा होने के कारण पौधरोपण के लिए यह समय सबसे बेहतर है। लिहाजा, हर किसी को पर्यावरण संरक्षण में योगदान देते हुए घर या आसपास किसी खुले मैदान में पौधा लगाना चाहिए। पर्यावरणविद अजय रावत ने बताया कि पेड़ों के महत्व को रेखांकित करना मुश्किल है। पर्यावरण सुधार, ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को काम करने के अलाव भू कटाव की रोकथाम को लेकर पेड़ों का बचना बेहद जरूरी है। बांज के पेड़ जल संरक्षण में योगदान देते हैं। हमारा पूरा सिस्टम ही जंगलों पर निर्भर है।
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