घर से निकलकर योद्धाओं के लिए बजाए शंख-घंटी
सुबह सात से रात नौ बजे तक जनता कर्फ्यू का दौर था। हालांकि समय सीमा खत्म होने से चार घंटे पहले हल्द्वानी शहर शंख घंटी थाली और तालियों की आवाज से गूंज उठा। बचों से लेकर बुजुर्ग और युवा भी उत्साह के साथ छत और बालकनी में खड़े होकर पुलिस स्वास्थ्य विभाग मीडिया स्वछता और अति आवश्यक सेवाओं से जुडे़ लोगों का हौसला बढ़ा रहे थे। क्योंकि कोरोना जैसी महामारी के बावजूद अलग-अलग फील्ड से जुड़े ये सभी लोग लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : सुबह सात से रात नौ बजे तक जनता कर्फ्यू का दौर था। हालांकि, समय सीमा खत्म होने से चार घंटे पहले हल्द्वानी शहर शंख, घंटी, थाली और तालियों की आवाज से गूंज उठा। बच्चों से लेकर बुजुर्ग और युवा भी उत्साह के साथ छत और बालकनी में खड़े होकर पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, मीडिया, स्वच्छता और अति आवश्यक सेवाओं से जुडे़ लोगों का हौसला बढ़ा रहे थे। क्योंकि कोरोना जैसी महामारी के बावजूद अलग-अलग फील्ड से जुड़े ये सभी लोग लोगों की सेवा में जुटे हुए हैं।
कोरोना का खतरा बढ़ने के बावजूद कई ऐसी सेवाएं हैं, जिन्हें बंद नहीं किया जा सकता। अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स से लेकर वार्ड ब्वॉय तक काम में जुटे हैं तो पुलिस व रक्षा क्षेत्र से जुड़े अन्य महकमे भी अलर्ट हैं। इस महामारी को खदेड़ने में स्वच्छताकर्मियोंका भी अहम योगदान है तो मीडियाकर्मी भी सावधानी बरतते हुए फील्ड में जाकर खबरों के जरिये लोगों को जागरूक कर रहे हैं। 19 मार्च को जब पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू की अपील की थी। तब उन्होंने इन सभी को राष्ट्ररक्षक का नाम देते हुए 22 मार्च की शाम पांच बजे ताली-थाली और शंख बजाकर इन सबका हौसला बढ़ाने के लिए भी कहा था। जनता कर्फ्यू का समर्थन करने वाले हल्द्वानी के लोगों ने इस काम में भी कोई कमी नहीं छोड़ी। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक में ध्वनि गूंजती रही। जेल में बंदियों ने बजाई थालियां
हीरानगर स्थित उपकारागार में भी बंदियों ने थालियां बजाकर अति आवश्यकीय सेवा से जुड़े लोगों का अभिनंदन किया। ठीक पांच बजे बंदी अपनी बैरकों से बाहर निकलकर जेल के मैदान में जुट गए थे। वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य व अन्य स्टाफ भी मौजूद था।