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भालू की पित्त की तस्करी के आरोप में पकड़े गए दोनों आरोपित दोषमुक्त nainital news

भालू की पित्त की तस्करी के आरोप में पकड़े गए दो लोगों को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पायल सिंह की अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 09:02 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 09:02 AM (IST)
भालू की पित्त की तस्करी के आरोप में पकड़े गए दोनों आरोपित दोषमुक्त nainital news
भालू की पित्त की तस्करी के आरोप में पकड़े गए दोनों आरोपित दोषमुक्त nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : भालू की पित्त की तस्करी के आरोप में पकड़े गए दो लोगों को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पायल सिंह की अदालत ने दोषमुक्त कर दिया है। बागेश्वर निवासी दोनों आरोपितों को न्यायालय ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपों से बरी कर दिया।

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जुलाई 2017 को गौलापुल पर पकड़े गए थे आरोपित

बनभूलपुरा थाना पुलिस व वन विभाग की संयुक्त टीम ने 19 जुलाई 2017 को गौलापुल पर कार सवार दो लोगों को भालू की दो पित्त के साथ गिरफ्तार किया था। चालक बलवंत सिंह कोरंगा निवासी ग्राम लीती, कपकोट बागेश्वर से 20.376 ग्राम व सवार नरेश सिंह कोरंगा निवासी ग्राम सीरी, कपकोट बागेश्वर पर 126.40 ग्राम पित्त बरामद होने का आरोप लगा था। मामले की जांच तराई पूर्वी वन प्रभाग के उपप्रभागीय वनाधिकारी धु्रव सिंह मर्तोलिया ने की। ये मामला अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट हल्द्वानी पायल सिंह की अदालत में चला। अभियोजन पक्ष की ओर से सात गवाह पेश किए गए।

बचाव पक्ष ने दी ये दलील

बचाव पक्ष ने दलील दी कि जांच अधिकारी ने न्यायालय में आरोप पत्र 18 सितंबर 2017 को दाखिल किया, जबकि पित्त की एफएसएल रिपोर्ट में 26 अगस्त की तिथि दर्ज थी। पित्त की जांच के लिए न्यायालय की अनुमति नहीं ली गई थी। जांच अधिकारी ने भारतीय वन्य जीव प्रयोगशाला वित्त के दो सैंपल बॉयोलोजिक मैटेरियल विश्लेषण के लिए भेजे थे, जबकि विश्लेषण रिपोर्ट मात्र एक सैंपल की निर्गत की गई। ये रिपोर्ट किस अभियुक्त से बरामद पित्त की थी, ये भी अभियोजन पक्ष साबित नहीं कर पाया।

अभियुक्तों को मिला संदेह का लाभ

न्यायालय ने पाया कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तगणों के विरुद्ध दर्ज धाराओं को युक्ति युक्त संदेह से परे साबित करने में असफल रहा। न्यायालय ने दोनों अभियुक्तों को संदेह का लाभ देते हुए सभी धाराओं से दोषमुक्त करने का आदेश दिया है। बचाव पक्ष की ओर से पैरवी अधिवक्ता वीपी जोशी व सरफराज आलम ने की थी।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक ग्राम पित्त की कीमत 50 हजार 

वन विभाग के मुताबिक भालू की पित्त की तस्करी चायना के लिए की जाती है। पित्त के अंदर का तरल पदार्थ सूखने के बाद पाउडर बन जाता है। जिसे अंतरराष्ट्रीय बाजार में 50 हजार रुपये प्रति एक ग्राम के हिसाब से बेचा जाता है। चायना में इसका प्रयोग पौरुष शक्ति बढ़ाने और औषधीय दवाएं बनाने के लिए किया जाता है।

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