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अतीत बन गया एचएमटी का सुनहरा 'समय'

खुद में सुनहरा इतिहास समेटे रानीबाग स्थित हिदुस्तान मशीन टूल्स एचएमटी फैक्ट्री अब बंद पड़ी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 11:15 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 06:12 AM (IST)
अतीत बन गया एचएमटी का सुनहरा 'समय'
अतीत बन गया एचएमटी का सुनहरा 'समय'

हल्द्वानी, गणेश पांडेय: खुद में सुनहरा इतिहास समेटे रानीबाग स्थित हिदुस्तान मशीन टूल्स (एचएमटी) घड़ी फैक्ट्री किसी समय कुमाऊं के लिए रोजगार का सबसे मजबूत स्तंभ हुआ करती थी। एचएमटी के सुनहरे 'समय' में फैक्ट्री से 1246 कर्मचारी कार्यरत थे। विकास पुरुष पंडित स्व. नारायण दत्त तिवारी के भारी उद्योग मंत्री रहते हुए 1982 में फैक्ट्री को मंजूरी मिली थी। आर्थिक उदारीकरण के बाद फैक्ट्री का गोल्डन समय खराब हो गया। कुप्रबंधन के चलते फैक्ट्री धीरे-धीरे घाटे का शिकार होती गई और 2016 में कर्मचारियों के लिए वीआरएस खोलने के बाद फैक्ट्री बंदी का एलान कर दिया गया। 91 एकड़ क्षेत्रफल में फैले एचएमटी के स्थान पर नया उद्यम स्थापित कर कुमाऊं के युवाओं के लिए रोजगार सृजित किया जा सकता है। स्थानीय प्रतिनिधि मुखर हों और सरकारें इच्छाशक्ति दिखाएं तो इसे मुमकिन किया जा सकता है।

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चिंता : जमीन लौटाई, मशीनें नीलाम

एचएमटी फैक्ट्री में 500 से अधिक मशीनें थी। फैक्ट्री प्रबंधन 45 फीसदी मशीनों की नीलामी करा चुका है। एचएमटी 91 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैली है। इसमें 41 एकड़ भूमि उद्योग मंत्रालय भारत सरकार की है। शेष भूमि राज्य सरकार व वन विभाग की है। एचएमटी कामगार संघ के अध्यक्ष भगवान सिंह के मुताबिक राज्य सरकार व वन विभाग की जमीन वापस हो चुकी है।

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दुर्भाग्य : रोजगार छोड़ सभी कयास

फ क्ट्री बंदी के एलान के बाद एचएमटी की जमीन को दूसरे उपयोग में लाने की बात उठती रही है। पहले हाईकोर्ट शिफ्ट करने की बात उठी। एक तबका कुमाऊं विश्वविद्यालय को जमीन देने की पैरवी करता रहा। हाउसिंग फॉर ऑल योजना के तहत गरीबों के लिए सामूहिक घर बनाने की बात भी उठी। राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) ने इसे अपने प्रोजेक्ट में भी शामिल कर लिया। अब एनडीआरएफ को जमीन देने की चर्चा चल रही है। दुर्भाग्यवश इसे रोजगार के नजरिये से अभी तक नहीं देखा गया है।

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बीस लाख घड़ी बनाने की थी क्षमता

द श की पाच इकाइयों में 20 लाख घड़ी प्रतिवर्ष तैयार करने वाली रानीबाग इकाई शुरुआत में जोरदार तरीके से चली। तब घड़ियों का दौर था तो स्वेदशी एचएमटी की डिमाड भी। 1991 के आसपास फैक्ट्री ने सर्वाधिक 18 लाख घड़ी तैयार कर रिकार्ड बनाया। वर्ष 2001 से फैक्ट्री की हालत लगातार बिगड़ती गई और केंद्र से मिलने वाले पैकेज पर जिंदा भर रही।

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अतीत में एचएमटी ::

-1982 में प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गाधी के कार्यकाल में मिली मंजूरी।

-तत्कालीन भारी उद्योग मंत्री स्व. एनडी तिवारी ने किया था शिलान्यास।

-1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गाधी ने किया उद्घाटन।

-91 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है फैक्ट्री व आवासीय परिसर।

-फैक्ट्री में कभी 1246 कर्मचारी रहे थे कार्यरत।

-प्रतिवर्ष 20 लाख घड़ी उत्पादन की थी क्षमता।

-1991 में जीएम एन सेतुमाधवन के कार्यकाल में सर्वाधिक 18 लाख घड़ियों का हुआ था उत्पादन।

-2016 में फैक्ट्री बंदी के समय 512 कर्मचारी थे कार्यरत।

-फैक्ट्री के 366 कर्मचारियों ने लिया वीआरएस।

-146 कर्मियों ने वीआरएस नहीं लिया, इसमें तीन की मौत हो गई।

-143 कर्मचारी वर्तमान में फैक्ट्री में हैं कार्यरत।

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य संभावनाएं

-एचएमटी टूल डिवीजन कारखाना हो सकता है शुरू

-इलेक्ट्रॉनिक उद्यम हो सकता है स्थापित

-आइटी सेक्टर का उद्यम की अच्छी संभावना

-मेडिसिन से जुड़ी फैक्ट्री भी अच्छा विकल्प

- पर्यटन के लिहाज से भी किया जा सकता है विकसित

- हाई कोर्ट भी बनाया जा सकता है

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टूल डिवीजन कारखाना खुले

एचएमटी रानीबाग में टूल डिवीजन कारखाना शुरू किया जा सकता है। रानीबाग में पर्याप्त जमीन व बना बनाया इंफ्रास्ट्रक्चर है। दूसरी जगह जमीन मिलना संभव नहीं होगा। सरकार को उद्यम स्थापित करने की इच्छाशक्ति दिखानी चाहिए।

- भगवान सिंह, अध्यक्ष एचएमटी कारगार संघ ::::::::::::::::

आइटी सेक्टर बेहतर विकल्प

पॉल्यूशन रहित उद्यम स्थापित करने के लिए रानीबाग एचएमटी वाली जमीन उपयुक्त है। इलेक्ट्रॉनिक व आइटी सेक्टर का उद्यम रानीबाग में अच्छा चल सकता है। मुख्य सड़क से जुड़े होने से मेडिसिन से जुड़ी फैक्ट्री भी अच्छा विकल्प है।

- आरसी बिंजोला, अध्यक्ष हिमालय चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ::::::

राज्य को केंद्र सरकार पर बनाना चाहिए दबाव

एचएमटी की इस सबसे बड़ी फैक्ट्री की स्थापना पूर्व सीएम स्व. एनडी तिवारी ने की थी। शुरूआत में यह काफी सफल रही। बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिला। हमने इसे बचाने का काफी प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। राज्य सरकार को केंद्र पर दबाव बनाकर इस दिशा में काम करना चाहिए। ताकि कोई और उद्योग खोलकर यहां स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया हो सके। उस दौर में काफी निवेश के बाद फैक्ट्री खोली गई थी।

डॉ. इंदिरा हृदयेश, नेता प्रतिपक्ष


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