22 जुलाई से हर दिन संसद जाएंगे 200 किसान : राकेश टिकैत
राकेश टिकैत गुरुवार को सितारगंज में किसान नेता सुखचैन सिंह के निधन पर शोक संवदेना व्यक्त करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने किसान आंदोलन को तेज करने के संकेत दिए। इसके साथ ही भावी योजना को भी साझा किया।
अविनाश श्रीवास्तव, सितारगंज : भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत गुरुवार को सितारगंज में किसान नेता सुखचैन सिंह के निधन पर शोक संवदेना व्यक्त करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने किसान आंदोलन को तेज करने के संकेत दिए। इसके साथ ही भावी योजना को भी साझा किया। कहा कि किसान अब संसद की ओर कूच करेंगे। 8 माह से किसान कृषि कानून के विरोध में आंदोलन पर बैठा है। लेकिन इसके बावजूद सत्ता के नशे में चूर भाजपा सरकार किसानों की मांगों को सुनने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार किसानों से कानून के जरिए उनकी जमीन छीनना चाहती है। ऐसा हरगिज नहीं होने दिया जाएगा।
कहा कि कानून वापसी को लेकर आंदोलन को तेज किया जाएगा। इसके लिए 22 जुलाई से हर रोज 200 किसानों का एक जत्था संसद जाएगा। सरकार को हमारी मांगे माननी पड़ेगी। सरकार किसानों के हौसले नहीं तोड़ सकती। सरकार को एक दिन कानून वापस ही लेना पड़ेगा। संसद जाकर किसान सरकार पर दबाव बनाएंगे। उन्हाेंने कहा हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा। देखते हैं सरकार कब तक नहीं मानती।
विलेज टूरिज्म पर काम करें पुष्कर धामी
पत्रकार वार्ता में राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तराखंड में पर्यटन व खेती में अपार संभावनाएं हैं। दोनों पर धामी सरकार को काम करना चाहिए। उन्होंने सरकार को हिल स्टेट पॉलिसी के तहत काम करते हुए विलेज टूरिज्म पर काम करने की सलाह दी। कहा की पहाड़ों में अनेकों पर्यटक स्थल है, जहां लाखों की संख्या में देश-विदेश से पर्यटक घूमने आते हैं, लेकिन पर्यटक बड़े होटलों में ठहरते हैं। इस तरह से मेट्रो सिटी के बड़े उद्योगपतियों के पास राज्य की आय का बड़ा हिस्सा चला जाता है। यदि विलेज टूरिज्म लागू हो तो आम आदमी को इसका लाभ होगा उनका जीवन स्तर सुधरेगा। अभी पर्यटकों द्वारा होटलों में खर्च किया गया पैसा स्थानीय लोगों की बजाय रसूखदारो को आर्थिक रूप से मजबूत करता है। विलेज टूरिज्म से पहाड़ की संस्कृति व खान पान का भी देश-विदेश में प्रचार-प्रसार होगा।
किसानों को मिले आरक्षण
टिकैत ने कहा कि देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा (पिथौरागढ़, खटीमा) पर रहने वाले किसानों को एससी-एसटी के तहत आरक्षण मिलना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को पहाड़ पर मंडी तक उत्पाद पहुंचाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। किसानों को पहाड़ पर सरकार कोई सुविधा नहीं दे रही है। उनकी फसल जंगली जानवर नष्ट कर रहे हैं और जो बच रही है उसे मंडी तक पहुंचाने की कोई व्यवस्था नहीं है। यही पलायन का सबसे बड़ा कारण भी है। यदि सरकार किसानों की मदद करे तो काफी हद तक पलायन पर काबू पाया जा सकता है।