Move to Jagran APP

डेंगू की चपेट में एक दर्जन रोडवेज बस चालक, बरेली, दून और दिल्ली रूट पर संचालन प्रभावित

डेंगू से अब रोडवेज बसों के पहिये भी जाम होने लगे हैं। रोडवेज के 12 चालक डेंगू से पीडि़त चल रहे हैं। चिकित्सकीय जांच में इसकी पुष्टि होने पर वह अस्पताल या घर पर आराम कर रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 05:57 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 11:20 AM (IST)
डेंगू की चपेट में एक दर्जन रोडवेज बस चालक, बरेली, दून और दिल्ली रूट पर संचालन प्रभावित
डेंगू की चपेट में एक दर्जन रोडवेज बस चालक, बरेली, दून और दिल्ली रूट पर संचालन प्रभावित

हल्द्वानी, जेएनएन : डेंगू के डंक से अब रोडवेज बसों के पहिये भी जाम होने लगे हैं। रोडवेज के 12 चालक डेंगू से पीडि़त चल रहे हैं। चिकित्सकीय जांच में इसकी पुष्टि होने पर वह अस्पताल या घर पर आराम कर रहे हैं। इससे बरेली, दून और दिल्ली रूट का संचालन प्रभावित हो रहा है। निगम के अधिकारी जैसे-तैसे अन्य मार्ग की बसों को रोककर इन रूटों पर संचालन करा रहे हैं।

loksabha election banner

पहले से ही चालकों का अभाव झेल रहे परिवहन निगम के सामने और भी दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। कर्मचारियों के बीमार होने की वजह से बसों का संचालन करने में निगम के अधिकारियों को एड़ी-चोटी का दम लगाना पड़ रहा है। बीमार पड़े कर्मचारियों की ड्यूटी दिल्ली, देहरादून, बरेली जैसे अन्य मुख्य मार्गों पर होने के कारण कम यात्री वाले रूटों की बसें इन रूटों पर भेजनी पड़ रही हैं, जिससे यात्रियों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े।

व्‍वस्‍थाअों को सामान्‍य रखने की हो रही है कोशिश 

रवि कापड़ी, हल्द्वानी डिपो इंचार्ज ने बताया कि चालकों व परिचालकों के बीमार होने से बसों की संचालन व्यवस्था पर असर तो पड़ा है, फिर भी व्यवस्थाओं को सामान्य बनाए रखने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे यात्रियों को परेशानी न हो। 

फिर एसटीएच व बेस से रेफर हुए मरीज

डेंगू की टेंशन कम नहीं हुई है। मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि सरकारी अस्पताल पूरी तरह पैक होने लगे हैं। मंगलवार को भी कई मरीजों को एसटीएच व बेस अस्पताल से हायर सेंटर रेफर किया गया। कुछ मरीज शहर के ही निजी अस्पतालों में गए तो कुछ बरेली व दिल्ली चले गए। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी इस बात की पुष्टि की, लेकिन पर्याप्त व्यवस्था न होने से मजबूर हैं। 

15 नए मरीजों में डेंगू की पुष्टि

कई दिन बाद एलाइजा पॉजिटिव होने वाले मरीजों की संख्या कम हुई। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के आधार पर 15 नए मरीजों में डेंगू बुखार की पुष्टि हुई। इसके अलावा सरकारी व निजी अस्पतालों में 76 मरीज भर्ती हैं। अब तक मरीजों की संख्या 958 पहुंच गई है। इसमें से 882 मरीज इलाज के बाद घर चले गए हैं। निजी चिकित्सालयों में डेंगू कार्ड पॉजिटिव 162 मरीज भर्ती हैं।

डेंगू से मौत के मामले की जांच में जुटे 

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी डेंगू के संदिग्ध लक्षणों से मरने वाले मरीजों की जांच में जुटा है। मंगलवार को भी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रश्मि पंत ने शहर के निजी व सरकारी अस्पतालों में मरने वाले मरीजों का डाटा एकत्रित किया। 

बेस अस्पताल में एक और फिजीशियन 

बेस अस्पताल में मंगलवार को अल्मोड़ा से एक और फिजीशियन डॉ. एके जोशी ने ज्वाइन कर लिया है। अब बेस में तीन फिजीशियन हो गए हैं। इससे मरीजों को राहत मिलने लगी है। इसके अलावा चार जूनियर डॉक्टर भी भेजे गए हैं। साथ ही दो स्टाफ नर्सों ने भी ज्वाइन कर लिया है।

हल्दूचौड़ में फॉगिंग व स्प्रे

स्वास्थ्य विभाग की टीम ने हल्दूचौड़ क्षेत्र में फॉगिंग व स्प्रे किया। आशा व एएनएम कार्यकर्ताओं ने लोगों को जागरूक किया। घरों में लार्वा नष्ट किए। लोगों को मच्छरों से बचाव करने के बारे में जागरूक किया गया।

बकरी के दूध को लेकर मची मारामारी

डेंगू का डर इस तरह व्याप्त है कि लोग बकरी का दूध भी महंगे दामों में खरीदने को मजबूर हैं। यह दूध कुछ लोग मुफ्त में बांट रहे हैं तो कई जगह 800 से 1200 रुपये प्रति लीटर की दर से बिक रहा है। लोगों का मानना है कि बकरी का दूध प्लेटलेट्स बढ़ाता है, लेकिन मेडिकल साइंस में इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है। आयुर्वेद इम्यूनिटी बढ़ाने का दावा करता है तो एलोपैथ व होम्योपैथ ने इस मामले में किसी तरह के शोध होने से इन्कार किया है।

जानिए क्‍या कहते हैं चिकित्‍सक 

डॉ. एनके मेहता, वरिष्ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ ने बताया कि बकरी का दूध बीमारी से लडऩे की क्षमता बढ़ाता है। इससे माना जाता है कि प्लेटलेट्स बढ़ जाते हैं। यह वात व कफ को भी शांत करता है। इसलिए लोग इसे पी रहे होंगे। डॉ. यतींद्र सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर, मेडिसिन विभाग, मेडिकल कॉलेज बकरी का दूध डेंगू मरीज के लिए कितना उपयोगी है, इसका मेडिकल साइंस में कोई प्रमाण नहीं है। अभी तक इस संबंध में कोई शोध भी सामने नहीं आया है। डॉ. अशोक लोहनी, होम्योपैथ विशेषज्ञ ने कहा कि पपीते के पत्ते व गिलोय को लेकर पहले से ही होम्योपैथ में प्रचलन है, लेकिन बकरी के दूध को लेकर अभी तक कोई प्रमाणिकता सामने नहीं आई है।

यह भी पढ़ें : ब्‍लड डोनेट करने में डरें नहीं, अब ब्लड का वही तत्‍व निकलेगा जिसकी होगी जरूरत

यह भी पढ़ें : उत्‍तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, तीसरे बच्चे पर अब नहीं मिलेगा मातृत्व अवकाश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.