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कुमाऊं विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल होगा तीन तलाक कानून NAINITAL NEWS

मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बना तीन तलाक कानून अब कुमाऊं विवि के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 18 Sep 2019 08:17 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 11:22 AM (IST)
कुमाऊं विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल होगा तीन तलाक कानून NAINITAL NEWS
कुमाऊं विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल होगा तीन तलाक कानून NAINITAL NEWS

नैनीताल, किशोर जोशी : मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बना तीन तलाक कानून अब कुमाऊं विवि के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगा। एलएलबी द्वितीय सेमेस्टर के कोर्स में इसे विशेष टॉपिक के तौर पर शामिल किया जाएगा। जल्द ही इसको लेकर बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक होगी। कवायद परवान चढऩे के बाद कुमाऊं विवि तीन तलाक कानून पढ़ाने वाला राज्य का पहला विश्वविद्यालय बन जाएगा। दिसंबर से शुरू होने वाले सेमेस्टर में यह पाठ्यक्रम का हिस्सा बन जाएगा। 

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कुमाऊं विवि के लॉ पाठ्यक्रम में मुस्लिम पर्सनल लॉ भी शामिल है। केंद्र व राज्य सरकार किसी अधिनियम में संशोधन या नया अधिनियम बनाती है तो कोर्स स्वत: अपग्रेड हो जाता है, मगर तीन तलाक कानून को विशेष टॉपिक के तौर पर पढ़ाने की तैयारी है। इसलिए बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक में इसे पास कराना होगा। कुलपति प्रो. केएस राणा ने बताया कि इस संबंध में लॉ कॉलेज के डीन को बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक बुलाने के निर्देश दिए जा चुके हैं। 

लॉ में स्‍पेशल चैप्‍टर होगा 

प्रो. केएस राणा, कुलपति कुमाऊं विवि ने बताया कि तीन तलाक कानून को लॉ के पाठ्यक्रम में विशेष टॉपिक के तौर पर शामिल किया जाएगा। इसके लिए बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक बुलाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।

जल्‍द बोर्ड मीटिंग में होगा फैसला 

प्रो: डीके भट्ट, डीन विधि संकाय, कुमाऊं विवि ने कहा कि देश-प्रदेश में लागू कानून व उसमें होने वाले संशोधन स्वत: ही पाठ्यक्रम में लागू होते हैं, मगर विशेष टॉपिक के तौर पर शामिल करने के लिए बोर्ड ऑफ स्टडीज की बैठक जल्द होगी। 

अब अपराध है तीन तलाक 

तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी ठहराने वाला कानून पिछले दिनों संसद से पास हो गया। अब एक समय में पत्नी को तलाक-तलाक-तलाक कहना अपराध होगा और आरोपी को तीन साल तक कैद और जुर्माना भुगतना पड़ सकता है। ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने भी इसे महिलाओं की जीत बताया था। शाहबानो से लेकर प्रदेश की ही शायराबानों तक न जाने कितनी महिलाओं को तीन तलाक का आतंक झेलना पड़ा है। लोकसभा में पास होने के बावजूद सरकार को राज्यसभा में इस कानून को पास कराने में खासी मशक्कत करनी पड़ी। 

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