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पूर्व मुख्यमंत्रियों को वसूली से राहत देते अध्‍यादेश मामले में हाईकोर्ट ने थमाया नोटिस

हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से आवास भत्ता व अन्य सुविधाओं में हुए खर्च को वसूल करने के आदेश के बाद राज्य सरकार द्वारा लाए अध्‍यादेश का चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 06:51 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 10:56 AM (IST)
पूर्व मुख्यमंत्रियों को वसूली से राहत देते अध्‍यादेश मामले में हाईकोर्ट ने थमाया नोटिस
पूर्व मुख्यमंत्रियों को वसूली से राहत देते अध्‍यादेश मामले में हाईकोर्ट ने थमाया नोटिस

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया भत्ता समेत अन्य सुविधाओं का बकाया वसूली माफ करने के अध्यादेश के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्रियों में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भी नोटिस जारी किया गया है। अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होगी। 
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में देहरादून की रूलक संस्था की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों बीसी खंडूड़ी, विजय बहुगुणा, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक व भगत सिंह कोश्यारी से बकाया वसूली के आदेश दिए थे, मगर इन सभी को व्यक्तिगत रूप से फायदा पहुंचाने के मकसद से सरकार ने इन सभी का बकाया माफ करने के लिए अध्यादेश जारी कर दिया है, जो असंवैधानिक है। राज्य सरकार ने शक्तियों का दुरुपयोग कर और हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत यह अध्यादेश पारित किया है। इस पर खंडपीठ ने चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल होने की वजह से पूर्व सीएम कोश्यारी को संविधान के अनुच्छेद-361 के तहत नोटिस भेजा गया। 
अधिवक्ता व याचिकाकर्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने बताया कि राष्ट्ररपति या गवर्नर को संविधान के अनुच्छेद-361 के तहत नोटिस दिया जाता है। यहां पूर्व सीएम के रूप में कोश्यारी को याचिका में पक्षकार बनाया गया है। रूलक ने यह नोटिस महाराष्ट्र के गवर्नर को दिया है, मगर याचिका में कोश्यारी को बतौर पूर्व सीएम पार्टी बनाया गया है, गवर्नर के रूप में नहीं। उन्हें नोटिस भेजने की जरूरत नहीं थी। 

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