अवैध खनन रोकने के लिए हर जिले में एंटी इललीगल माइनिंग फोर्स का होगा गठन high court news
राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा है कि हर जिले में अवैध खनन रोकने के लिए वह एंटी इललीगल माइनिंग फोर्स का गठन करेगी।
नैनीताल, जेएनएन : राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र देकर कहा है कि हर जिले में अवैध खनन रोकने के लिए वह एंटी इललीगल माइनिंग फोर्स का गठन करेगी। अवैध खनन रोकने के लिए राजस्व, खनन, वन व पुलिस महकमे की संयुक्त टीम बनाई गई है। जो समय-समय पर छापामारी कर रही है। कोर्ट ने फोर्स का गठन छह माह के भीतर करने की मियाद तय की है, जिसके बाद कोर्ट ने इस संबंध में दायर जनहित याचिका निस्तारित कर दी।
ऊधमसिंह नगर के बाजपुर निवासी मोदाराम, मिलक राज, अमरजीत सिंह आदि ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि कोसी-दाबका नदी में बेरोकटोक अवैध खनन कर सरकार को राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। साथ ही पर्यावरणीय नुकसान भी हो रहा है। नदी में खनन सामग्री की क्षमता से अधिक लाइसेंस बांट दिए गए हैं। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब मांगा था। पूछा था कि अवैध खनन रोकने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं और भविष्य में क्या कदम उठाए जाएंगे। बुधवार को सरकार ने जवाब दाखिल कर बताया कि कोसी में जितने लाइसेंस दिए गए हैं, उनकी क्षमता खनन सामग्री की क्षमता से अधिक नहीं है। अवैध खनन रोकने के लिए ऑनलाइन जीआइएस मैपिंग की जाएगी। खनन सामग्री वाले हर वाहन में चिप लगाई जाएगी। प्रदेश में एंटी इललीगल माइनिंग फोर्स बनाई जा रही है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सरकार को छह माह में फोर्स बनाने के आदेश दिए। बता दें कोसी-दाबका में 54 स्टोन क्रशर संचालित हैं और एंटी इललीगल माइनिंग फोर्स का सालाना खर्च करीब 50 करोड़ सालाना है।
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