मिट्टी वाली बारिश से किसान हैरान, धान व मक्का की फसल पर असर पडऩे का अंदेशा NAINITAL NEWS
हल्द्वानी के साथ ही गौलापार में मिट्टी वाली बारिश होने से किसान हैरान हैं। घर के बाहर रखे गए खाली बर्तनों में बारिश के पानी के साथ बर्तनों के तले में पीले रंग की मिट्टी जमा मिली।
हल्द्वानी, जेएनएन : हल्द्वानी के साथ ही गौलापार में मिट्टी वाली बारिश होने से किसान हैरान हैं। घर के बाहर रखे गए खाली बर्तनों में बारिश के पानी के साथ बर्तनों के तले में पीले रंग की मिट्टी जमा मिली। हालांकि मौसम विभाग के अनुसार राजस्थान और हरियाणा में धूल भरी आंधी चली थी, लेकिन उसका असर उत्तराखंड में नहीं हुआ। क्योंकि इस समय में प्रदेश में मानसून सिस्टम बेहद मजबूत स्थिति में है। वहीं, किसानों ने मिट्टी वाली बारिश से धान व मक्का की फसल को नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताते हुए कृषि विभाग से किसानों के लिए गाइडलाइन जारी करने की मांग की है।
कृषि बहुल क्षेत्र गौलापार में मिट्टी वाली बारिश होने पर किसानों ने सोशल मीडिया पर फोटो के साथ पोस्ट शेयर की। जिसमें कहा गया कि अप्रैल में आमतौर पर तेज हवा के साथ धूल और बारिश होने पर ऐसा होता है, लेकिन जुलाई में मानसून के चरम पर होने पर ऐसा पहली बार देखा गया। जैविक ट्रेनर अनिल पांडे ने बताया कि कृषि पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। गौलापार देवला तल्ला के किसान नरेंद्र मेहरा का कहना है कि जिस तरह यह राजस्थानी धूलकण उत्तराखंड तक पहुंच चुके हैं, कहीं यह धान, सोयाबीन या अन्य फसलों में किसी तरह की बीमारी को न पनपा दें। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों को इसकी जांच समय पूर्व करवानी चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़े। उन्होंने कहा कि मानसून की बारिश में मिट्टी का आना पर्यावरण असंतुलन को दर्शाता है। पर्यावरणविद् व कृषि वैज्ञानिकों को इस बारे में गहराई से अध्ययन करने की आवश्यकता है।
जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विक्रम सिंह, निदेशक, राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि हरियाणा व राजस्थान में अभी मानसून कमजोर है। वहां धूल भरी आंधी चली, लेकिन उत्तराखंड में भी इसका असर रहा, ऐसा संभव नहीं है। यहां मानसून पूरी तेजी में है।
जुलाई में दस साल में शनिवार को सबसे कम रहा अधिकतम तापमान
मानसून के तेवर तीखे होने लगे हैं। जून में राहत बरसाने वाले बादल जुलाई में आफत बनकर बरस रहे हैं। शनिवार को हल्द्वानी में 7.0 मिलीमीटर बारिश हुई, जिससे रात्रि के समय न्यूनतम तापमान 22.8 डिग्री पर पहुंच गया। जबकि दोपहर में अधिकतम तापमान पिछले दस सालों में सबसे कम 28.6 डिग्री सेल्सियस रहा।
बीते शुक्रवार की शाम से शनिवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 24 घंटे में 17.7 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार रविवार और सोमवार को भी मौसम का मिजाज ऐसा ही बना रहेगा। नैनीताल, हल्द्वानी और मुक्तेश्वर में बहुत भारी बारिश हो सकती है। पिछले एक सप्ताह से रोजाना हो रही बारिश से मैदानी इलाकों में अधिकतम औसत तापमान में चार डिग्री की गिरावट है। शनिवार को हल्द्वानी में अधिकतम तापमान 28.6 डिग्री रहा, जो पिछले दस सालों में जुलाई में अब तक सबसे कम अधिकतम तापमान है। वर्ष 2009 से लेकर 2018 तक जुलाई में हल्द्वानी का अधिकतम तापमान 35 से 37 डिग्री के बीच रहा है, जबकि न्यूनतम तापमान 22 से 23 डिग्री के बीच रहा है, लेकिन इस बार लगातार बारिश से पारा लुढ़क गया।