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न्यायाधीशों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इन्कार uttarakhand high court

हाई कोर्ट ने उच्च न्यायालयों के जजों की सेवानिवृत्त आयु 62 से बढ़ाकर 65 करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 01:06 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 01:22 PM (IST)
न्यायाधीशों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इन्कार uttarakhand high court
न्यायाधीशों की रिटायरमेंट आयु बढ़ाने के मामले में हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप से किया इन्कार uttarakhand high court

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने उच्च न्यायालयों के जजों की सेवानिवृत्त आयु 62 से बढ़ाकर 65 करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर हस्तक्षेप से इन्कार करते हुए कहा कि संविधान के अनुच्छेद-217 में आयु सीमा 62 वर्ष है। इसमें बदलाव का विशेषाधिकार सिर्फ संसद को है। 

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मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया है कि देश में लंबित वादों की संख्या बढ़ रही है, लिहाजा हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के रिटायररमेंट की आयु 62 से बढ़ाकर 65 की जाए। याचिका में कनाडा, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि देशों का हवाला देते हुए कहा कि इन देशों में सेवानिवृत्त आयु 70 से 75 वर्ष है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि इस संबंध में भारत सरकार को भी प्रत्यावेदन दिया गया है, लेकिन उस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया। साथ ही साफ किया कि संविधान के अनुच्छेद-217 में आयु सीमा 62 निर्धारित है, जिसमें परिवर्तन सिर्फ संसद ही कर सकती है, लिहाजा कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती।


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