उत्तराखंड को वनवासी राज्य का दर्जा दे केंद्र सरकार : किशोर उपाध्याय NAINITAL NEWS
प्रदेश सरकार वन अधिकार अधिनियम को तत्काल लागू करे जिससे लोगों को जल जंगल और जमीन का अधिकार मिल सके। ये बातें प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कही।
हल्द्वानी, जेएनएन : नदियों के किनारे और जंगलों के बीच रहने वाले उत्तराखंडियों को उनके पुश्तैनी हक-हकूक मिलने चाहिए। प्रदेश सरकार वन अधिकार अधिनियम को तत्काल लागू करे, जिससे लोगों को जल, जंगल और जमीन का अधिकार मिल सके। ये बातें वनाधिकार आंदोलन के प्रदेश संयोजक व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहीं। वह शनिवार को बिठौरिया में आयोजित वनाधिकार सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। सम्मेलन में उत्तराखंड को वनवासी राज्य घोषित करने की पुरजोर वकालत की गई। किशोर उपाध्याय ने नौ बिंदुओं पर तैयार किए गए प्रस्ताव की जानकारी भी दी। कहा कि पहले उत्तराखंड की जल, वन संपदा पर स्थानीय लोगों का अधिकार था, लेकिन धीरे-धीरे सारे अधिकार समाप्त कर दिए गए।
नदी और जंगल के आसपास रहने वाले लोगों को भी अपना घर बनाने के लिए लकड़ी और रेता बजरी खरीदना पड़ रहा है, जबकि इस संपदा पर स्थानीय लोगों का सबसे पहला अधिकार है। पूर्व की भांति राज्य के हर परिवार को भवन निर्माण के लिए रेत, बजरी, पत्थर व लकड़ी मुफ्त मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम किसी पार्टी विशेष का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यहां हर उस व्यक्ति को आमंत्रित किया गया है, जो उत्तराखंड के हक-हकूक की बात करेगा। इस दौरान जोत सिंह बिष्ट, पूर्व सांसद महेंद्र पाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व मंत्री हरीश दुर्गापाल, पूर्व विधायक सरिता आर्य, एआइसीसी सदस्य सुमित हृदयेश, मथुरा दत्त जोशी, प्रेम बहुखंडी, संजय भट्ट, सतीश नैनवाल, सांध्य डालाकोटी, महेंद्र भट्ट, आनंद रावत, मनोज खुल्वे, बीना जोशी, शेखर जोशी, भोला दत्त भट्ट, आचार्य नमन कृष्ण महाराज, हेमंत साहू सहित वनाधिकार आंदोलन से जुड़े अन्य लोग मौजूद रहे।
पंचायत चुनाव में वनाधिकार को मुद्दा बनाएगी कांग्रेस
हल्द्वानी : वनाधिकार आंदोलन की बैठक में आठ प्रस्ताव पारित किए गए। साथ ही कांग्रेस नेताओं ने साफ संकेत दिए कि पंचायत चुनाव में पार्टी इसे मुद्दा बना सकती है। सम्मेलन में कहा गया कि दिसंबर 2019 तक, पानी के मुद्दे पर सरकार ने सकारात्मक फैसला नहीं लिया तो जनवरी 2020 के बाद आंदोलन से जुड़े लोग पानी बिल देना बंद कर देंगे। वनाधिकार आंदोलन की बैठक में पारित किए गए प्रस्तावों में युवा पीढ़ी को आंदोलन से जोडऩे के लिए स्कूल-कॉलेजों में अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। कांग्रेस नेता जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि आंदोलन में अधिक से अधिक महिलाओं को जोडऩे का प्रयास किया जाएगा। आंदोलन के अगले चरण में ब्लॉक और न्याय पंचायत स्तर पर बैठकें, धरना-प्रदर्शन होंगी। आंदोलन को गति देने और अधिक से अधिक लोगों को जोडऩे के लिए जिला व विधानसभा क्षेत्र स्तर पर इकाइयां गठित की जाएंगी। आने वाले पंचायत चुनावों में वनाधिकार को प्रमुख मुद्दा बनाएंगे। उन्होंने मांग की कि वन ग्रामों में जिन लोगो को पंचायत चुनावों में वोट देने से वंचित किया जा रहा है, उनके नाम वोटर लिस्ट में जोड़े जाएं, ताकि वह विधानसभा और लोकसभा चुनाव की तरह पंचायत चुनाव में भी मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें। उन्होंने कहा कि वन विभाग पौधरोपण के लिए रेंज स्तर पर पौधों की खरीद करे, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में नर्सरी को बढ़ावा मिलेगा।
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