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बाघों को बचाने वाले वन प्रभागों का एनटीसीए करेगी मदद, जानिए NAINITAL NEWS

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानी एनटीसीए अब टाइगर रिजर्व के अलावा उन वन प्रभागों की भी मदद करेगा जिन्होंने खुद के संसाधनों से बाघ संरक्षण के लिए बेहतर काम किया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 06:50 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:06 PM (IST)
बाघों को बचाने वाले वन प्रभागों का एनटीसीए करेगी मदद, जानिए NAINITAL NEWS
बाघों को बचाने वाले वन प्रभागों का एनटीसीए करेगी मदद, जानिए NAINITAL NEWS

हल्द्वानी, जेएनएन : राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण यानी एनटीसीए अब टाइगर रिजर्व के अलावा उन वन प्रभागों की भी मदद करेगा, जिन्होंने खुद के संसाधनों से बाघ संरक्षण के लिए बेहतर काम किया है। फंड के अलावा इन्हें संरक्षण की नई तकनीक से भी रूबरू कराया जाएगा। रिजर्व एरिया से बाहर की बात करें तो कुमाऊं का वेस्टर्न सर्किल अव्वल है। पिछली गणना के मुताबिक, यहां 119 बाघ हैं। खुद के संसाधनों से यह उपलब्धि पाई गई है।

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एनटीसीए केंद्रीय वित्त पोषित प्राधिकरण के तौर पर काम करता है। देश भर के टाइगर रिजर्व पर नजर रखकर यह बाघों के संरक्षण को लेकर बजट व अन्य संसाधन मुहैया कराता है। 2006 में वन्यजीव अधिनियम में संसोधन कर यह नियम बनाया गया था कि बाघ संरक्षण में बेहतर काम करने वाले डिवीजनों को भी संसाधन दिए जाएंगे। लेकिन इस दिशा में कुछ खास पहल नहीं हो सकी। पिछले दिनों हल्द्वानी में एनटीसीए के अफसरों की मौजूदगी में यूपी व उत्तराखंड के फॉरेस्ट अफसरों ने बाघ बचाने व बढ़ाने के लिए मंथन किया। उस दौरान स्थानीय अफसरों ने पक्ष रखते हुए कहा कि अगर कोई डिवीजन इस क्षेत्र में काम कर रही है तो उसे भी सम्मान मिलना चाहिए। पश्चिमी वन वृत्त में शामिल पांच वन प्रभाग तराई पूर्वी, तराई केंद्रीय, तराई पश्चिमी, रामनगर व हल्द्वानी वन प्रभागों के बाघों का आंकड़ा भी रखा गया, जिसके बाद तय हुआ कि बजट के साथ तकनीकी सहयोग भी मिलेगा। वहीं एनटीसीए द्वारा आयोजित फील्ड डायरेक्टर की सालाना कॉन्फ्रेंस में वेस्टर्न सर्किल के वन संरक्षक डॉ. पराग मधुकर धकाते भी शामिल होंगे। 

रिजर्व के जरिये नहीं सीधा मिले मदद

एनटीसीए जब वन प्रभागों को मदद करता है तो इसे टाइगर रिजर्व के जरिये पहुंचाता है, जबकि वन प्रभागों के अफसरों का कहना है कि जब संरक्षण डिवीजन स्तर से हो रहा है तो मदद भी उन्हें सीधे मिलनी चाहिए। 

बाघों की संख्‍या बढ़न की उम्‍मीद  

डॉ. पराग मधुकर धकाते, वन संरक्षक वेस्टर्न सर्किल ने बताया कि 119 बाघ पिछली गणना का आंकड़ा है। पूरी उम्मीद है कि सर्किल में बाघों की संख्या बढ़ी होगी। एनटीसीए के सहयोग से और बेहतर काम हो सकेगा।


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