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पंचाचूली ग्लेशियर पहुंचना हुआ आसान, नागलिंग में पुल बना तो मिलेगी और राहत NAINITAL NEWS

तहसील की दारमा घाटी में स्थित पंचाचूली पर्वतमाला का ग्लेशियर दारमा के दुग्तू गांव के पास स्थित है। सड़क से ग्लेशियर की दूरी मात्र साढ़़े तीन किमी रह चुकी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 17 Jun 2019 10:54 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jun 2019 10:09 AM (IST)
पंचाचूली ग्लेशियर पहुंचना हुआ आसान, नागलिंग में पुल बना तो मिलेगी और राहत  NAINITAL NEWS
पंचाचूली ग्लेशियर पहुंचना हुआ आसान, नागलिंग में पुल बना तो मिलेगी और राहत NAINITAL NEWS

धारचूला (पिथौरागढ़), जेएनएन : कभी एक दुनिया मानी जाने वाली पंचाचूली ग्लेशियर तक पहुंचना अब आसान हो गया है। ट्रैकर धारचूला से एक ही दिन में पंचाचूली ग्लेशियर के दर्शन कर लौट रहे हैं। यह सब सड़क बनने से संभव हुआ है। नागलिंग में पुल निर्माण का सिर्फ इंतजार है, अगर यह बन जाए तो मार्ग में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी।
तहसील की दारमा घाटी में स्थित पंचाचूली पर्वतमाला का ग्लेशियर दारमा के दुग्तू गांव के पास स्थित है। सड़क से ग्लेशियर की दूरी मात्र साढ़़े तीन किमी रह चुकी है। गांव से पंचाचूली बेस कैंप तथा ग्लेशियर की जड़ तक जाने का मार्ग उच्च हिमालय के अन्य मार्गों की अपेक्षा सरल है। बीते तीन वर्ष पूर्व तक पंचाचूली ग्लेशियर तक पहुंचना कठिन होता था। सोबला से लोग लगभग चालीस किमी की पैदल यात्रा कर यहां तक पहुंचते थे। तब यहां पहुंचने में तीन दिन लग जाते थे। हालांकि इसके बाद भी यहां तक ट्रेकर पहुंचते थे। विगत एक दशक के मध्य तो पंचाचूली ट्रेक सबसे अधिक प्रचलित हो गया था। यहां सीजन में पहुंचने वाले ट्रैकरों की संख्या हजारों में पहुंचने लगी थी ।
दो वर्ष पूर्व जब यहां सड़क का निर्माण हुआ तो पर्यटकों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई। सड़क तो बनी परंतु यहां ग्लेशियरों से निकलने वाली नदी, नालों में पुल नहीं होने से आए दिन बाधा आने लगी थी। इस वर्ष तो अत्यधिक हिमपात से दारमा मार्ग अपने निर्धारित समय से लगभग एक माह बाद खुला, परंतु साहसी और उत्सुक पर्यटक बर्फ में चल कर यहां पहुंचे। इधर अब मार्ग में पुलों का निर्माण होने लगा है। नागलिंग में पुल निर्माण होते ही पंचाचूली तक पहुंचना अधिक सरल हो जाने वाला है। धारचूला से लगभग 70 किमी दूर तक वाहन से सफर करने के बाद मात्र साढ़े तीन किमी पैदल चल कर पंचाचूली की जड़ तक पहुंचने वाला पर्यटक पंचाचूली दर्शन से अभिभूत होते हैं।

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कैसे पहुंचे पंचाचूली
हल्द्वानी और टनकपुर से धारचूला तक सीधे वाहन चलते हैं। धारचूला से पंचाचूली ग्लेशियर जाने के लिए वाहन मिलते हैं।

कहां रुके 
पंचाचूली बेस कैंप और ग्लेशियर जाने वाले पर्यटकों के लिए दुग्तू गांव में होम स्टे बने हैं। जो यहां पर किराए पर मिल जाते हैं।

पंचाचूली ग्लेशियर पर्यटकों को आकर्षित करने में सफल  

दिनेश गुरु रानी, प्रबंधक, केएमवीएन ने बताया कि पंचाचूली ग्लेशियर पर्यटकों को आकर्षित करने में सफल रहा है। दारमा घाटी सबसे सुंदर घाटी है। यहां पंचाचूली के अलावा अन्य स्थल भी दर्शनीय हैं। आने वाले दिनों में पंचाचूली अन्य सभी स्थलों को पीछे छोड़ देगा। इसे देखते ही केएमवीएन ने यहां पर होम स्टे को प्रोत्साहित किया, जिसके परिणाम सामने आने लगे हैं।

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