हल्द्वानी की नव्या अब मंगोलिया में शानदार प्रदर्शन कर भारत का नाम रोशन करेगी, जानिए
बचपन से ही जुजित्सू खेलने की शौकीन नव्या के इरादे काफी बुलंद हैं। अभी हाल ही में एशियन गेम्स में जीतने के बाद उनका चयन मंगोलिया के लिए हुआ है।
हल्द्वानी, रजत श्रीवास्तव : चेन्नई में आयोजित एशियन गेम्स में दो स्वर्ण पदक और इससे पहले कई राज्यों में अपना परचम लहरा चुकी हल्द्वानी की नव्या अब मंगोलिया में शानदार प्रदर्शन कर भारत का नाम रोशन करने की कोशिश में जुटी हैं। बचपन से ही जुजित्सू खेलने की शौकीन नव्या के इरादे काफी बुलंद हैं। अभी हाल ही में एशियन गेम्स में जीतने के बाद उनका चयन मंगोलिया के लिए हुआ है। इन दिनों वह अपने कोच के सानिध्य में खुद को तराशने में लगी है।
स्कूल से लगा कराटे का शौक
नव्या आठ साल की थी जब उनको कराटे जैसे खेल का शौक लगा। होली एपेक्स में कराटे कोच से उनके इस शौक को बल मिला। प्रशिक्षण में पारंगत होने के बाद स्कूल स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में उन्होंने कमाल दिखाया और प्रतियोगिताओं में पदक झटके। इंदिरा प्रियदर्शनी स्कूल में कोच विनय जोशी से संपर्क होने के बाद प्रतिभा को मांझा और जेल रोड एकेडमी ने तराशा। आज राज्य का नाम रोशन कर रही हैं। पहली बार रानीखेत में जिला लेवल पर खेला जिसमें प्रथम स्थान पाया था।
राज्य स्तर पर झटके पदक
दिल्ली में तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित प्रतियोगिता में दो गोल्ड अर्जित किए। 2017 में एशियन इंडोर एंड मार्शल आर्टस में प्रतिनिधित्व किया। इंडिया ओलंपिक कमेटी ने तुर्कीस्तान में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व करते हुए पांचवी रैंक मिली थी।
इस बार दिखाया दमखम
केरल में आयोजित नेशनल प्रतियोगिता में नव्या ने भाग लिया। जिसमें कई राज्यों की टीमें आई थी। जिसमें उन्होंने गोल्ड जीता। अभी हाल ही में 2019 की एशियन प्रतियोगिता में 27 राज्यों की टीमें आई थीं। जिसमें उन्होंने बेहतर प्रदर्शन कर गोल्ड जीता। यहीं पर साउथ एशियन प्रतियोगिता में जहां सात देशों ने प्रतिभाग किया था। इसमें एक गोल्ड हासिल किया।
2022 की चल रही है तैयारी
2022 में होने वाले एशियन गेम्स में खेलने की तैयारी कर रही हैं। चेन्नई की प्रतियोगिता के बाद अब मंगोलिया में खेलने के लिए चयनित किया गया है।
यह भी पढ़ें : मैथमेटेशियन हरिमोहन ने मैजिक पजल्स में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानिए क्या है खास
यह भी पढ़ें : कुमाऊं के पर्वतीय जिलों में भूकंप के झटके, पिथौरागढ़ में जमीन के दस किमी अंदर था केन्द्र