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दो साल में उत्तराखंड में लगेंगे 150 भूकंपमापी यंत्र

केंद्रीय पृथ्वी मंत्रालय ने राज्य में अगले दो साल के भीतर डेढ़ सौ भूकंपमापी यंत्र लगाने की मंजूरी दी है। अब तक 30 स्थानों पर यह सयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 17 Dec 2017 11:30 AM (IST)Updated: Sun, 17 Dec 2017 08:51 PM (IST)
दो साल में उत्तराखंड में लगेंगे 150 भूकंपमापी यंत्र
दो साल में उत्तराखंड में लगेंगे 150 भूकंपमापी यंत्र

नैनीताल, [किशोर जोशी]: भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड की केंद्रीय पृथ्वी मंत्रालय ने सुध ली है। मंत्रालय ने राज्य में अगले दो साल के भीतर डेढ़ सौ भूकंपमापी यंत्र लगाने की मंजूरी दी है। अब तक 30 स्थानों पर यह सयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।

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राष्ट्रीय भूभौतिकी संस्थान हैदराबाद की ओर से राज्य के डिजास्टर मैनेजमेंट विभाग के साथ मिलकर शहरों का माइक्रोजोनेशन किया जा रहा है। इसमें देहरादून में मसूरी व नैनीताल प्रमुख हैं। 

इन क्षेत्रों में भूकंप की सक्रियता वाले क्षेत्र चिह्नित किए जाएंगे। साथ ही भूकंप आने पर रेस्पांस क्या होगा, इसका भी आंकलन होगा। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मुनस्यारी व गोरीगंगा के समीप तोली गांव, नारायण नगर डीडीहाट, रानीखेत में कालाखेत, चमोली जिले के भराड़ीसैंण, चम्पावत जिले के सुयाल खर्क व अल्मोड़ा के धौलछीना में सेंटर स्थापित किए गए हैं। राज्य के पर्वतीय जिले भूकंप की दृष्टि से जोन-चार व जोन पांच (संवेदनशील व अति संवेदनशील) में आते हैं।

भवनों की ऊंचाई का होगा निर्धारण

कुमाऊं विवि के वरिष्ठ भू वैज्ञानिक प्रो. सीसी पंत ने बताया कि राज्य में भवनों की ऊंचाई क्या हो, कहां पर भवन बनाए जाएं और कहां पूरी तरह पाबंदी लगाई जाए। इस पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। भूकंपमापी सयंत्रों के माध्यम से डाटा कलेक्शन किया जाएगा। प्रत्येक जिले में जिलाधिकारी के माध्यम से स्कूलों इत्यादि में भू वैज्ञानिकों द्वारा निरीक्षण किया जाएगा।

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