विश्व भर के 10 लाख घरों में गायत्री यज्ञ संपन्न
विश्व कल्याण और वसुधैव कुटुंबकम के भाव से आयोजित हो रहा अखिल विश्व गायत्री परिवार का गृहे-गृहे गायत्री महायज्ञ रविवार को शांतिकुंज में संपन्न हो गया।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : विश्व कल्याण और वसुधैव कुटुंबकम के भाव से आयोजित हो रहा अखिल विश्व गायत्री परिवार का गृहे-गृहे गायत्री महायज्ञ रविवार को शांतिकुंज में संपन्न हो गया। हालांकि वैश्विक स्तर पर यह आयोजन बुद्ध पूर्णिमा (सोमवार) को भी घरों में जारी रहेगा।
रविवार सुबह नौ बजे गायत्री तीर्थ में महायज्ञ का शुभारंभ अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डा. प्रणव पंड्या और शैलदीदी ने दीप प्रज्वलन के साथ किया। अपने संदेश में डा. प्रणव पंड्या ने कहा कि विश्व शांति और विश्व कल्याण के लिए देश-विदेश के गायत्री साधकों के 10 लाख घरों में एक साथ-एक समय में गायत्री यज्ञ में संपन्न किया गया। यज्ञ के माध्यम से हम अपनी आहुति ब्रह्मांड को देते हैं। यह आयोजन आध्यात्मिक प्रयोग के अंतर्गत संपन्न हुआ। उन्होंने आशा व्यक्त की कि एक उद्देश्य के साथ सामूहिक रूप से किए गए आध्यात्मिक अनुष्ठान प्राणी मात्र के लिए संजीवनी की तरह होगा। संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि भारतीय संस्कृति की मूल आधार यज्ञ पिता (सत्कर्म) और गायत्री माता (सद्ज्ञान) है। युगऋषि आचार्य ने इन्हें जीवन जीने की शैली के रूप में स्थापित किया है। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा. चिन्मय पंड्या ने यज्ञीय आयोजन को सर्वश्रेष्ठ कर्म बताते कहा कि संपूर्ण मानवता के कष्ट का समूल नाश करना है तो यज्ञीय जीवन जीना होगा। शांतिकुंज व्यवस्थापक महेंद्र शर्मा ने बताया कि बहुसंख्य लोग शांतिकुंज से आनलाइन संचालित हुए यज्ञीय प्रक्रिया से जुड़े तो वहीं अनेक व्यक्तियों ने यज्ञ का संचालन स्वयं तथा स्थानीय प्रज्ञा संस्थानों से जुड़े पुरोहितों से संपन्न करवाया। शर्मा ने बताया कि इसका सजीव प्रसारण यूट्यूब चैनल-शांतिकुंज वीडियो और फेसबुक आईडी- एडल्ब्यूजीपीआफिसियल (ड्ड2द्दश्चश्रद्घद्घद्बष्द्बड्डद्य) में किया गया। आयोजक के समन्वयक केपी दुबे ने बताया कि कोरोना के समूल नाश और पीड़ितों के स्वास्थ्य लाभ, वैश्विक स्तर पर आसन्न संकट के उबरने को विशेष आहुतियां प्रदान की गयी। उन्होंने बताया कि दिल्ली, गुजरात, पंजाब, उत्तरप्रदेश, मप्र, ओडिशा, हरियाणा, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों सहित आस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका आदि देशों के गायत्री स्वजन ने अपने-अपने घरों में औषधीय जड़ी-बूटियों से हवन किया।