अनिवार्य रूप से कराएं बच्चों के स्वास्थ्य की जांच
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें आशा डीईआइसी और अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी शामिल हुए।
संवाद सहयोगी, रुड़की: राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत एक कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें आशा, डीईआइसी और अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मी शामिल हुए। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कार्यशाला में स्वास्थ्य कर्मियों को बच्चों में होने वाली विभिन्न बीमारियों की पहचान और उनके उपचार के बारे में बताया।
सिविल अस्पताल सभागार में आयोजित कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय कंसल ने बताया कि जब शिशु जन्म लेता है, उस समय बहुत ध्यान देने की जरूरत होती है। कई बार नवजात को ऐसी बीमारियां हो जाती हैं कि उनका पता ही नहीं चलता। इनमें कलेफ्ट पैलेट भी एक है। इसमें बच्चा दूध नहीं पी पाता और स्वजन उसकी दवाएं शुरू कर देते हैं। इसलिए बच्चे की जांच जरूरी है, ऑपरेशन से इसी ठीक किया जा सकता है। कलेफ्ट लिप यानी कटा होंठ सब देख सकते हैं। इसे प्लास्टिक सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। थैलीसिमिया से पीड़ित बच्चे भी कमजोर होते हैं। इसी तरह से दिल में छेद होने से बच्चे की ग्रोथ ठीक प्रकार से नहीं हो पाती। इस तरह की बीमारियों का पता काफी समय बाद चलता है। लेकिन, यदि बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सजगता बरती जाए तो आसानी से उनका पता चल जाता है और उपचार भी संभव है। उन्होंने कहा कि कोरोना के चलते बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी ठीक प्रकार से नहीं हो पा रही थी। इसलिए अब टीमों को फिर से बच्चों के स्वास्थ्य की जांच करनी होगी। इस मौके पर अस्पताल प्रबंधक दिव्यांशु, डीईआइसी प्रबंधक नीतू बिष्ट, आरबीएस प्रबंधक रेशमा परवीन, शहनाज, मंगेश शर्मा, सुषमा धीमान, मोहिनी चौहान, पूनम, रेखा, अलिता देवी, मंतेश आदि मौजूद रहे।