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जानिए- चातुर्मास में क्यों आवश्यक है खानपान और दिनचर्या में अनुशासन

हरिद्वार के गुरुकुल राजकीय आयुर्वेदिक कालेज के उप चिकित्सा अधीक्षक डा. उदय नारायण पांडे ने बताया कि 20 जुलाई से लगे चातुर्मास को ऋतुओं का संधिकाल कहा गया है। इस मौसम में उमस और नमी के कारण बैक्टीरिया अधिक पनपते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 12:38 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 12:42 PM (IST)
जानिए- चातुर्मास में क्यों आवश्यक है खानपान और दिनचर्या में अनुशासन
कम तेल, मिर्च, मसाले वाला हल्का सुपाच्य भोजन पाचन तंत्र ठीक रखने में सहायक है।

कीर्ति सिंह। आयुर्वेद की मान्यता है कि कोई भी बीमारी शरीर में वात, पित्त और कफ के असंतुलन के कारण होती है। चातुर्मास में इन तीनों की तीव्रता बढ़ जाती है, फलस्वरूप पाचन क्रिया कमजोर पड़ना, गैस व एसिडिटी जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। इनका एक ही समाधान है कि वात, पित्त और कफ में संतुलन बनाएं। इसके लिए आहार और शारीरिक व्यवहार में संयम व अनुशासन जरूरी हो जाता है।

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सुपाच्य भोजन करें: कम तेल, मिर्च, मसाले वाला हल्का सुपाच्य भोजन पाचन तंत्र ठीक रखने में सहायक है। पित्त पाचन क्रिया में सहायक है और उसकी तीव्रता दिन में अधिक व रात्रि में क्षीण पड़ जाती है। इसलिए विशेषकर इस मौसम में देर रात्रि भोजन करने से बचना चाहिए। बेहतर होगा कि आहार संध्या समय ही कर लें ताकि पाचन दुरुस्त रहे।

हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से बचें: बारिश के दिनों में मौसम में नमी के कारण बैक्टीरिया पनपते हैं। इस मौसम में साग व हरी पत्तेदार सब्जियों के सेवन से दूर रहना लाभकारी है। दरअसल इस मौसम में पत्तेदार सब्जियों में बेहद सूक्ष्म कृमि की मौजूदगी की वजह से ऐेसा करने की सलाह दी जाती है। कई बार सब्जियों को ठीक से न धोए जाने के कारण वे आहार के साथ शरीर में पहुंचकर आपको बीमार बना सकती हैं।

सूर्योदय से पहले उठें: सुबह के समय ताजी हवा फेफड़ों के लिए अत्यधिक लाभप्रद है। इसलिए सूर्योदय से पूर्व उठने व प्राणायाम करने का नियम बना लें। योग व प्राणायाम करने से हमारा शरीर ऊर्जावान बनता है और रक्त संचार बेहतर होता है। जब शरीर में भरपूर आक्सीजन पहुंचती है तो विभिन्न अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं और हम रोग मुक्त बने रहते हैं।

दूध से बने उत्पादों का सेवन करें: बारिश के दिनों में दूध के बजाय इससे बने उत्पादों का सेवन करना चाहिए। इस मौसम में दूध में बैक्टीरिया शीघ्र पनपते हैं, किंतु जब भली प्रकार पकाकर उसका सेवन किया जाता है तो वह शरीर के लिए गुणकारी होता है। रात में दही के सेवन से बचना चाहिए अन्यथा जुकाम हो सकता है।

पानी उबालकर पिएं: वर्षाकाल में नदियों व जल के अन्य स्रोतों में धूल कण व मिट्टी घुल जाती है। यह दूषित जल शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए इस मौसम में पानी सदैव उबालकर पीना चाहिए।


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