चाय की दुकान पर फेंक जा रहे पानी के बिल
जागरण संवाददाता हरिद्वार बकायेदारों पर बिल जमा नहीं कराने का आरोप लगाने वाला जल संस्थान
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: बकायेदारों पर बिल जमा नहीं कराने का आरोप लगाने वाला जल संस्थान खुद बिल वसूली के लिए गंभीर नहीं है। ज्वालापुर से सटे सराय गांव में जल संस्थान की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां पानी के लाखों रुपये के बिल घरों में बांटने के बजाय चाय की दुकान पर लावारिस फेंक दिए जाते हैं। विभागीय कर्मचारियों के नकारेपन का यह सिलसिला कई साल से चला आ रहा है। समय से बिल नहीं मिलने के कारण कई ग्रामीण बेवजह जल संस्थान के बकायेदार हो चले हैं।
ऊर्जा निगम की तरह जल संस्थान का यह दायित्व है कि समय से उपभोक्ता को बिल उपलब्ध कराए, ताकि वह उसका समय पर भुगतान कर सके। जल संस्थान वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बकायदारों से वसूली में पूरी ताकत लगा देता है। मगर आम दिनों में वसूली की कोई परवाह अधिकारियों को नहीं है। विभाग के कर्मचारी बिल वितरण और बकाया वसूली को लेकर कितने गंभीर है, इसका अंदाजा सराय गांव में चाय की दुकान पर पड़े पेयजल बिल के बंडल देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। कर्मचारी घर-घर जाकर बिल पहुंचाने की जहमत उठाने को तैयार नहीं है। कई साल से पानी के बिल चाय की दुकान पर छोड़ दिए जाते हैं। इसके बाद ग्रामीणों की जिम्मेदारी है कि वह खुद बंडल से अपना बिल ढूंढे और उसे जमा कराएं। बिल के बंडल में किसी को अपना बिल नहीं भी मिलता है तो विभागीय कर्मचारी की कोई जिम्मेदारी नहीं है। बिल खो जाने या गायब होने की जिम्मेदारी भी उपभोक्ता की है। विभाग के इस नकारेपन की वजह से लोगों को समय से उनके बिल नहीं मिल पाते और गांव के 50 से ज्यादा लोग कर्मचारियों की गलती से विभाग के बकायेदार हो चुके हैं।
बिल के फोटो-वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विभाग के आला अधिकारी भी कर्मचारियों की लापरवाही पर पर्दा डालने में जुटे हैं। इस बारे में जल संस्थान के अधिशासी अभियंता नरेश पाल से जब बात करने का प्रयास किया, तो उनका मोबाइल फोन लगातार व्यस्त आता रहा। जल संस्थान की लापरवाही का यह मामला पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।