Uttarakhand News: उत्तराखंड के आबकारी विभाग को है अगले हादसे का इंतजार, फिर सुलग रही शराब की भट्टियां
उत्तराखंड के हरिद्वार समेत कई जिलों में एक बार फिर शराब माफिया सक्रिय हो गए हैं। हरिद्वार में उत्तर प्रदेश से सटे बॉर्डर के जंगल में अवैध शराब की भट्टी फिर से सुलग रही हैं।
रुड़की, केके शर्मा। उत्तराखंड के हरिद्वार समेत कई जिलों में एक बार फिर शराब माफिया सक्रिय हो गए हैं। हरिद्वार जिले में उत्तर प्रदेश से सटे बॉर्डर के जंगल में अवैध शराब की भट्टी फिर से सुलग रही हैं। डेढ़ साल पहले उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड राज्य में जहरीली शराब से 150 मौत हुई थी। लगता है उत्तराखंड के आबकारी विभाग को अगले हादसे का इंतजार है।
कच्ची शराब माफिया ने पूरे प्रदेश में एक बार फिर अपनी जड़े मजूबत की हैं। देहरादून से लेकर हरिद्वार के बार्डर से सटे गांव के जंगलों में कच्ची शराब का धंधा संचालित हो रहा है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि जिले में आठ माह के अंदर कच्ची शराब की भट्टी के 32 मामले पकड़े जा चुके हैं। हजारों लीटर लाहन नष्ट किया गया है। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के शराब माफिया एक दूसरे के राज्यों में बार्डर से सटे गांव में शराब की तस्करी कर रहे हैं। जिससे आम आदमी की जान खतरे में है।
इस तरह के मामले पूर्व में भी हुए हैं। आठ फरवरी 2019 की सुबह झबरेड़ा के बिंडूखड़क, बाल्लूपुर भलस्वागाज, तेज्जूपुर समेत करीब 10 गांव में जहरीली शराब पीने से 48 मौत हुई थी। उप्र में भी इसी दिन जहरीली शराब से 100 से अधिक मौत हुई थी। जहरीली शराब की तस्करी उप्र से हुई थी। इस मामले में कई तस्कर गिरफ्तार हुए थे। वहीं, 21 सितंबर 2019 को देहरादून के पथरिया पीर इलाके में भी जहरीली शराब पीने से छह लोगों की मौत हुई थी। राजधानी में हुई घटना के बाद अधिकारी हरकत में आए, लेकिन इसके कुछ दिन बाद फिर पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारी बेपरवाह हो गए। जिसका फायदा उठाकर माफिया ने पूरे प्रदेश में फिर से अपना नेटवर्क खड़ा कर दिया है।
प्रदेश में इन जगहों पर है शराब की भट्टी
- हरिद्वार जिला: लक्सर, खानपुर, भगवानपुर, नारसन, बुग्गावाल, तेज्जपुर, भलस्वागाज, बाल्लूपुर, लामग्रंट, शहीदवाला, लालवाला ग्रंट।
- नैनीताल जिला: रामनगर क्षेत्र का जंगल, मालधन।
- देहरादून जिला: सहसपुर, विकासनगर, डोईवाला, रायवाला, ऋषिकेश, सेलाकुई।
- कोटद्वार (पौड़ी जिला): स्नेह चौकी क्षेत्र का जंगल, कलालघाटी क्षेत्र।
- रुद्रपुर (उधमसिंह नगर): बिंदुखेड़ा, रम्पुरा, ट्रांजिट कैंप, बगवाड़ा भट्टा, छतरपुर, अर्जुनपुर।
- काशीपुर (उधमसिंह नगर): कुंडा के दुर्गापुर, कलियावाला, पतरामपुर, करनपुर, हेमपुर, बरखेड़ा, रम्पुरा, छोटी बढ़खेड़ी, फिरोजपुर, हेमपुर डिपो।
- किच्छा (उधमसिंह नगर): महाराजपुर, बंडिया, पुराना गल्ला मंडी, रामेश्वरपुर, टनकपुर, कोटखर्रा, लालपुर, भगवानपुर, पुलभट्टा।
- जसपुर (उधमसिंह नगर): पतरामपुर, भोगपुर डैम, कलिया कलां।
- गदरपुर (उधमसिंह नगर): खेमपुर, अलखदेवी, राजपुरा नंबर एक, सकैनिया, भोला कालोनी, रतनपुर, संजय नगर, सूरजपुर, बंगाली कालोनी।
- बाजपुर (उधमसिंह नगर): बन्ना खेड़ा, लखनपुर, चकरपुर, कोसी खनन क्षेत्र, भीकमपुरी, रतनपुरा, हरिपुरा हरसान, सरकड़ी, केलाखेड़ा।
- सितारगंज (उधमसिंह नगर): साधूनगर, सिसैई खेड़ा, नगला, सुंदरनगर, बिज्टी सरकड़ा, धानचौड़ा।
- खटीमा (उधमसिंह नगर): आलाविर्दी, कच्ची खमरिया, सरपुड़ा, बकुलिया, मझोला।
इस वजह से है कच्ची शराब की मांग
प्रदेश के कई जिलों में ऐसे गांव हैं जहां पर शराब की दुकानें काफी दूर हैं। इसके अलावा अंग्रेजी और देशी शराब काफी मंहगी है। कच्ची शराब इनके मुकाबले काफी सस्ती है। इसके अलावा कच्ची शराब बेचने वाले माफिया उधार में भी शराब बेचते हैं। जिसके चलते देहात क्षेत्र के लोगों में कच्ची शराब की मांग अधिक है। इसके अलावा शराब माफिया घर पर भी शराब की डिलीवरी करने की सुविधा देते हैं। जिसके वजह से देहात क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कच्ची शराब की सप्लाई होती है।
कम उम्र के युवाओं को धकेल रहे धंधे में
कम उम्र के युवाओं को भी कच्ची शराब के धंधे में धकेला जा रहा है। शराब की भट्टी पर शराब बनाने से लेकर आसपास के गांव समेत दूसरे राज्यों के गांव में शराब की तस्करी में भी इन्हें लगाया जा रहा है। अवैध शराब के धंधे को लेकर कई बार भगवानपुर, मंगलौर, रुड़की क्षेत्र की महिलाएं माफिया के खिलाफ मोर्चा तक खोल चुकी हैं। इसके बावजूद माफिया पर अंकुश नहीं लग पाया है।
भौगोलिक स्थिति से मिल रहा माफिया को फायदा
उत्तराखंड और उत्तराखंड की सीमा से सटे गांव के जंगल में अधिकांश शराब की भट्टी संचालित हैं। यहीं से एक दूसरे राज्यों में माफिया शराब की तस्करी होती हैं। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में आने जाने के लिए कई ऐसे संपर्क मार्ग हैं, जहां पर पुलिस की चेकिंग नहीं होती। इसका फायदा माफिया उठा रहे हैं। इन संपर्क मार्गों से माफिया दूसरे राज्यों में शराब की तस्करी कर रहे हैं। बाइक और अन्य वाहनों से अवैध शराब एक राज्य से दूसरे राज्य में आसानी से लाई और ले जाई जा रही है। पुलिस भी इन संपर्क मार्गों पर चेकिंग करने में या तो लापरवाही करती है या फिर अनदेखी करती है।
ऐसे तैयार करते हैं कच्ची शराब
हरिद्वार जिले में शराब माफिया सिरा, सिरका, गन्ने के रस को पहले सड़ाते हैं। इसके बाद इसे जंगल के अंदर एक मटके में जमीन में दबा देते है। करीब 10 दिन बाद इसे भट्टी में पकाया जाता है। इस शराब की कोई लिमिट नहीं होती। ऐसे में शराब का नशा बढ़ाने के लिए इसमें कैमिकल और नींद की गोलियां तक मिलाई जाती हैं। जिससे कई बार कच्ची शराब की लिमिट अधिक हो जाती है। जिससे पीने वाली की मौत हो सकती है या फिर उसकी आंखों की रोशनी भी जा सकती है। बाल्लूपुर कांड कैमिकल युक्त शराब की देन है।
राजनीतिक और पुलिस संरक्षण में फूल रहा अवैध कारोबार
कच्ची शराब के इस धंधे के पीछे पुलिस और राजनीतिक संरक्षण के आरोप भी लगते रहे हैं। ऐसा इसलिए भी है कि कई बार अवैध शराब की शिकायत ग्रामीण पुलिस से करते है, लेकिन इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। उल्टा कई बार शिकायत करने वालों को ही धमकी मिलने लगती है। पुलिस की तरफ से शराब माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने के चलते अवैध शराब के धंधे पर रोक नहीं लग पा रही है।
रुड़की में तो हर चीज मिलती है नकली
हरिद्वार जिले के रुड़की में हर चीज नकली है। सीमेंट से लेकर किताब, दवा, मावा, दूध और कई पेय पदार्थ नकली पकड़े जा चुके हैं। नकली नोट भी कई बार पकड़े गए हैं। अब तो माफिया नकली शराब बनाने से भी पीछे नहीं हैं। नकली शराब के चक्कर में कई लोगों की जान जा चुकी है। देहरादून से लेकर झबरेड़ा क्षेत्र के हादसे इसके गवाह हैं।
बोले पुलिस अधिकारी
डी सैंथिल अवूदई कृष्ण राज एस (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार) का कहना है कि जिले में जिन जगहों पर शराब की भट्टी चल रही हैं उन जगहों को चिह्नित कर माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में चल रहे इस नेटवर्क की कमर तोड़ी जाएगी।
जहरीली शराब कांड के आरोपित को हाई कोर्ट से मिल चुकी है जमानत
देहरादून में चर्चित जहरीली शराब कांड के आरोपित अजय सोनकर उर्फ घोंचू को पहली जुलाई को हाई कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। एकलपीठ ने सरकार के जवाब के बाद माना है कि घोंचू का मामले में सीधे तौर पर रोल नहीं रह है। देहरादून के पथरिया पीर इलाके में जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत हो गयी थी, जिसके बाद पुलिस ने अजय सोनकर को आरोपी बनाते हुए देहरादून कोतवाली में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था। निचली अदालत से जमानत याचिका खारिज होने के बाद अजय सोनकर ने हाई कोर्ट में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। यह हाईप्रोफाइल मामला फिलहाल हाईकोर्ट में विचाराधीन है। 20 सितम्बर 2019 को देहरादून के पथरिया पीर मोहल्ले में जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत, जबकि 10 अन्य बीमार हुए थे, उक्त शराबकांड में पुलिस द्वारा भाजपा नेता अजय सोनकर उर्फ घोंचू के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया था।
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दून से मरोड़ा गया था मौत की शराब
टिहरी गढ़वाल के मरोड़ा गांव में वर्ष 2019 में मार्च महीने हुई दो मौत का मामला एक बार इसलिए सुर्खियों में है, क्योंकि मौत का सामान देहरादून से ही गया था। इसकी खास वजह यह है कि टिहरी जनपद का हिस्सा होने के बाद भी मरोड़ा गांव देहरादून से सीधा जुड़ा हुआ है। यहां के लोग मालदेवता होते हुए देहरादून आते-जाते हैं। इसी रास्ते से शराब भी शिवरात्रि से एक-दो दिन पहले मरोड़ा गई थी। तब भी पुलिस और आबकारी महकमे के आला अधिकारियों ने कार्रवाई की भरोसा दिया था, लेकिन अब अंदाजा लगाया जा सकता है, उस भरोसे में कितनी गंभीरता थी।