अखाड़े की मर्यादा और परंपरा के उल्लंघन पर दो संत निष्कासित, श्रीमहंत मोहन भारती महाराज ने की कार्रवाई
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने दो वरिष्ठ संतों, महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी महाराज और महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज को अखाड़े से ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। अर्द्धकुंभ 2027 को दिव्य और भव्य रूप से आयोजित किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक पर सवाल उठाने और अखाड़े की परंपरागत मर्यादा के विरुद्ध कथित रूप से बयानबाजी करने पर दो वरिष्ठ संतों पर निष्कासन की गाज गिरी है।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े ने महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी महाराज और महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरि महाराज को तत्काल प्रभाव से अखाड़े से बाहर कर दिया है।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत मोहन भारती महाराज ने कहा कि अखाड़ा व्यवस्था संत परंपरा, मर्यादा और सामाजिक आचरण के उच्च आदर्शों पर आधारित है और इन मूल्यों के विपरीत जाने वाले किसी भी व्यक्ति को पद या प्रभाव का संरक्षण नहीं दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अन्य संतों की भूमिका भी जांच के दायरे में है। यदि प्रमाण मिले तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। उनकी ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि दोनों ने सरकार और प्रशासन के विरोध में अनर्गल बयानबाजी और अमर्यादित भाषा का प्रयेाग किया है। यह सनातन विरोधी है।
स्वामी प्रबोधानंद गिरी के विरुद्ध पूर्व में भी कई शिकायतें आई थी। जिनमें उनके विरुद्ध हत्या के अभियोग की भी थी, जिसकी जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि दोनों ही संत आगामी अर्द्धकुंभ मेले को बिगाड़ना चाहते हैं। स्वामी यतींद्रनंद गिरि महाराज 2009 में भाजपा से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।
नाराज संतों ने की अखिल भारतीय आश्रम परिषद के गठन की घोषणा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में सभी संतों को नहीं बुलाने पर नाराज आश्रम धारी और स्थान धारी संतों ने अखिल भारतीय आश्रम परिषद का गठन करने की घोषणा की है। र
विवार को देवपुरा चौक स्थित भारत सेवाश्रम में बैठक में संतों ने कहा कि सरकार ने केवल अखाड़ों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया। अन्य संतों की उपेक्षा की। इस मौके पर महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी, महामंडलेश्वर रूपेंद्र प्रकाश, बाबा हठयोगी, स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज आदि मौजूद रहे।

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