हरिद्वार में निराश्रित बचपन को मिल रही है ममता की छांव
हरिद्वार के श्रीराम आश्रम में दो अमरीकी महिलाएं टेट्रिश व जुलिअनट, जो वर्षों से आश्रम में ही रहकर नि:स्वार्थ भाव से उन पर ममत्व बिखेर रही हैं।
लालढांग, हरिद्वार [राहुल शर्मा]: एक ऐसा आश्रम, जहां बेसहारा बच्चों को न सिर्फ ममता की छांव मिली, बल्कि यही ममता अब उनके भविष्य की राह भी प्रशस्त कर रही है। दो दशक पहले बाबा हरिदास ने हरिद्वार जिले के श्यामपुर क्षेत्र में अनाथ बच्चों के लिए इस आश्रम की नींव रखी थी। नाम दिया श्रीराम आश्रम। आज इस आश्रम में ऐसे 80 बच्चे रह रहे हैं, जिनके या तो मां-बाप नहीं हैं या पैदा होते ही उन्हें खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया गया। लेकिन, कहते हैं ना, 'जिनके पैरों तले जमीन नहीं, उनके सिर पर उसूल की छत है।' इन बच्चों के लिए उसूल की छत बनी हैं दो अमरीकी महिलाएं टेट्रिश (रश्मि) व जुलिअनट (सपना), जो वर्षों से आश्रम में ही रहकर नि:स्वार्थ भाव से उन पर ममत्व बिखेर रही हैं।
श्रीराम आश्रम आज हर उम्र वर्ग के बच्चों से आबाद हो रहा है। यहां निराश्रित बचपन को आसरा ही नहीं मिलता, उसके भविष्य की बुनियाद भी तैयार की जाती है। आश्रम की प्रबंधक अमेरिका निवासी रश्मि बताती हैं कि 20 वर्ष पूर्व बाबा हरिदास ने इस आश्रम की स्थापना की थी। शुरू में परेशानियां भी आईं, लेकिन समय के साथ-साथ सब व्यवस्थित होता चला गया। आज आश्रम में रहने वाला हर निराश्रित बच्चा यहां स्थित विद्यालय श्रीराम विद्या मंदिर में शिक्षा प्राप्त कर रहा है। सीबीएसई से संबद्ध इस विद्यालय में जिन बच्चों की पढ़ाई यहां पूरी हो चुकी है, उन्हें अलग-अलग संस्थानों में आगे की पढ़ाई के लिए दाखिला दिलाया गया है। दो बच्चे तो विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं, जबकि चार लड़कियों की शादी हो चुकी है और वह अपने-अपने घरों में खुश हैं। खास बात यह कि आश्रम में बच्चों को ममता की छांव भी मिल रही है। नि:स्वार्थ भाव से आश्रम में कार्य कर रही दोनों विदेशी महिलाएं यहां बच्चों पर वैसा ही ममत्व उड़ेलती हैं, जैसा कि सगी मां।
विदेशी शुभचिंतकों के अनुदान से चलता है आश्रम
आश्रम के ट्रस्टी आम भल्ला बताते हैं कि वर्तमान में विद्यालय में 600 से ज्यादा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। विद्यालय की ओर से वर्तमान में आश्रम में रहने वाले बच्चों के अलावा करीब 70 बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है। बताते हैं, आश्रम का खर्चा विदेशी शुभचिंतकों की फंडिंग और अनुयायियों के सहयोग से चलता है। इनमें रश्मि व सपना के कई परिचित भी शामिल हैं।
सेवा को समर्पित जीवन
मूलरूप से अमेरिका के माउंट मडोना, कैलिफोर्निया की रहने वाली रश्मि (टेट्रिश) ने बताया कि वह वर्ष 1990 में बाबा हरिदास के साथ श्यामपुर स्थित श्रीराम आश्रम (अनाथ शिशु ट्रस्ट ऑफ इंडिया) आई थीं। माउंट मडोना में उनके घर के पास ही बाबा का आश्रम है। वहीं पहली बार बाबा से संपर्क हुआ था। भारत आकर इस आश्रम में पहुंची तो बच्चों के लिए कुछ करने की जिज्ञासा पैदा हुई। माउंट मडोना निवासी सपना (जुलिअनट) भी रश्मि के साथ भारत घूमने आई थीं और उन्हीं की तरह आश्रम की सेवा में रम गईं। बताती हैं, जब भी परिवार की जिम्मेदारियों से समय मिलता है, कहीं घूमने के बजाय मैं अमेरिका से सीधे श्रीराम आश्रम चली आती हूं। इन बच्चों से मुझे बेहद स्नेह है।
हॉकी में चमक रहीं आश्रम की बेटियां
श्रीराम आश्रम में रह रही बेटियां हॉकी में काफी नाम कमा रही हैं। आश्रम एवं स्कूल के हॉकी कोच बलविंदर ने बताया कि आश्रम की बेटी अंजली शरण ऑल इंडिया नेशनल सीबीएसई हॉकी टूर्नामेंट में बेस्ट डिफेंडर चुनी गईं। वर्तमान में वह रुद्रपुर (ऊधमसिंहनगर) में नेशनल के लिए कैंप कर रही हैं। वहीं, परमेश्वरी और केशव भी सीबीएसई के नेशनल टूर्नामेंट में बेस्ट डिफेंडर चुने गए हैं। जबकि, च्योति सीबीएसई नेशनल की कैप्टन रहने के अलावा फिलहाल दिल्ली विवि की टीम से हॉकी खेल रही हैं।
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