राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघिन बढ़ा रही है अपना दायरा, जानिए कारण
राजाजी टाइगर रिजर्व में सालों से दो ही रेंज के जंगल में रह रही बाघिनों में से एक ने अब दूसरी रेंज की तरफ भी रुख करना शुरू कर दिया है। इसे बाघिन के लिए अच्छा संकेत माना जा रहा है।
हरिद्वार, जेएनएन। राजाजी टाइगर रिजर्व में सालों से दो ही रेंज के जंगल में रह रही बाघिनों में से एक ने अब दूसरी रेंज की तरफ भी रुख करना शुरू कर दिया है। बाघिन ने तीसरी रेंज में बेरीवाड़ा रेंज के जंगल में दस्तक देनी शुरू कर दी है। पार्क के अधिकारी इसे बाघिन के लिए अच्छा संकेत बता रहे हैं। इससे वह बेहद खुशी भी महसूस कर रहे हैं कि बाघिन अब जंगल में अपना विचरण का दायरा बढ़ाने लगी है।
राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर और कांसरो रेंज में सालों से दो बाघिन अकेले रह रही हैं। इन रेंज में कोई बाघ नहीं होने से इन क्षेत्र में बाघों का कुनबा भी नहीं बढ़ पा रहा है। वर्ष 2017 दिसंबर में पार्क प्रशासन की ओर से दूसरे जंगलों से बाघ लाकर मोतीचूर और कांसरों में छोड़ने की योजना बनाई थी।
इसका मकसद यह था कि बाघिनों का बाघ से मिलन हो सके, लेकिन पार्क प्रशासन की यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही थी। अब एक बाघिन ने दोनों रेंजों को छोड़कर तीसरी रेंज के जंगल में भी दस्तक देनी शुरू कर दी है। इससे पार्क प्रशासन के अधिकारी अच्छा संकेत मान रहे हैं।
राजाजी टाइगर रिजर्व के वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह ने बताया कि सालों बाद एक बाघिन ने मोतीचूर और कांसरो रेंज को छोड़कर बेरीवाड़ा रेंज में प्रवेश किया है। बाघिन के लिए यह अच्छी बात है कि वह अब अन्य रेंज के जंगलों में भी जाने लगी है। कहा कि अगर वह पार्क के जंगल में घूमती फिरती रहती है तो उससे उसे लाभ होगा।
गुलदार ने गोशाला में बंधी गाय को बनाया निवाला
चमोली जिले में विकासखंड कर्णप्रयाग के ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ ग्रामीण गुलदार के आतंक से मवेशियों को बचाने के लिए पशुपालक आफत में हैं। कपीरी पट्टी के कुनेथ में गुलदार ने दुर्गा देवी की गोशाला तोड़ दुधारू गाय को निवाला बना लिया।
सुबह जब दुर्गा देवी गाय को चारा देने पहुंची तो देखा कि गोशाला की छत टूटी है और अंदर गाय मृत पड़ी है। इसकी सूचना ग्रामीणों ने वन अधिकारी को दी। सामाजिक कार्यकर्ता बृजेश बिष्ट ने बताया कि लंबे समय से क्षेत्र में गुलदार का आतंक बना है। इस संबध में वन विभाग व प्रशासन को कई बार अवगत कराया जा चुका है।
गाय को निवाला बनाने की सूचना वन विभाग के रेंज अधिकारियों को दी गई है। पीड़ित पशुपालक को हर संभव मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई गई है। साथ ही भविष्य में इस प्रकार की घटना न हो इसके लिए गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की मांग भी वन विभाग से की गई है।
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