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राजाजी में ढाई साल बाद बाघ का कुनबा बढ़ाए जाने की कवायद, बनाई जा रही ये योजना

राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ का कुनबा बढ़ाए जाने की कवायद होने लगी है। पार्क में अकेली रह रही बाघिन के लिए जंगल में एक बाघ लाए जाने की योजना है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 01:29 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 01:29 PM (IST)
राजाजी में ढाई साल बाद बाघ का कुनबा बढ़ाए जाने की कवायद, बनाई जा रही ये योजना
राजाजी में ढाई साल बाद बाघ का कुनबा बढ़ाए जाने की कवायद, बनाई जा रही ये योजना

हरिद्वार, जेएनएन। ढाई साल बाद राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघ का कुनबा बढ़ाए जाने की कवायद होने लगी है। पार्क में अकेली रह रही बाघिन के लिए जंगल में एक बाघ लाए जाने की योजना है, जिससे इनका कुनबा बढ़ाया जा सके। इसके लिए पार्क प्रशासन बाघिन की लोकेशन तलाशने में जुटा हुआ है। 

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राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर और कांसरो रेंज में दो बाघिन कई सालों से अकेली रह रही हैं। इस रेंज में किसी बाघ के न होने से क्षेत्र में इनका कुनबा नहीं बढ़ पा रहा है। दिसंबर 2017 में पार्क प्रशासन ने मोतीचूर और कांसरों रेंज के जंगलों में बाघ लगाकर छोड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन फिर पार्क प्रशासन की यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई। अब राजाजी पार्क प्रशासन एक बार फिर इस योजना पर काम कर रहा है। 

इसके लिए दोनों बाघिन को कैमरा ट्रैप में कैद कर उनकी लोकेशन ट्रेस करना शुरू कर दिया है। कॉर्बेट पार्क, रामनगर और लैंसडौन के जंगलों से दो बाघ और तीन बाघिन लाकर मोतीचूर और कांसरो रेंज में छोड़ी जाएंगी। वन्य जीव प्रतिपालक कोमल सिंह ने बताया कि बाघिन मोतीचूर और कांसरो रेंज से बाहर नहीं निकल पा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस बार यह योजना जरूर सफल होगी। 

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वहीं, राजाजी टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर अमित वर्मा का कहना है कि बाघ का बाघिन से मिलन कराने के लिए मोतीचूर में बाड़ा बनाया गया है। इस बाड़े में बाहर से लाए गए बाघों को रखा जाएगा। उन्हें कुछ दिन यहां रखने के बाद मोतीचूर और कांसरो रेंज में बाघिन से मिलने के लिए छोड़ा जाएगा। इसके लिए एक कमेटी का भी गठन किया जाएगा। इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि मिशन सफल हो जाएगा।   

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