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Earthquake Resistant House: अति तीव्र भूकंप में भी सुरक्षित रहेगा थर्माकोल से बना चार मंजिला भवन

Earthquake Resistant House आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के शोधार्थी व जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली की फैकल्टी द्वारा किए शोध में यह बात सामने आई कि सीस्मिक जोन-पांच वाले क्षेत्र में ईंट की जगह थर्माकोल का इस्तेमाल कर बनाया चार मंजिला भवन भूकंप से सुरक्षित रहता है।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 05:51 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 06:12 PM (IST)
Earthquake Resistant House: अति तीव्र भूकंप में भी सुरक्षित रहेगा थर्माकोल से बना चार मंजिला भवन
देश में भूकंपरोधी मकान बनाने की दिशा में हुए एक शोध ने संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं।

रीना डंडरियाल, रुड़की। Earthquake Resistant House: देश में भूकंपरोधी मकान बनाने की दिशा में हुए एक शोध ने संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं। सीस्मिक जोन-पांच वाले क्षेत्र में ईंट की जगह थर्माकोल का इस्तेमाल कर बनाया गया चार मंजिला भवन भी अब भूकंप से सुरक्षित रह सकता है। सीस्मिक जोन पांच को भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक क्षेत्र माना जाता है और यहां आठ से नौ रिक्टर स्केल की तीव्रता वाले भूकंप आ सकते हैं। इस तकनीक से बनने वाला भवन भूकंपरोधी होने के साथ ही काफी कम समय में तैयार हो जाएगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के शोधार्थी व जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली की फैकल्टी द्वारा किए गए शोध में यह बात सामने आई है।

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पांच साल से चल रहा था शोध

ईंट की जगह थर्माकोल से बनाया जाने वाला भवन भूकंप के लिहाज से कितना सुरक्षित है, इसे लेकर आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग में वर्ष 2016 से शोध चल रहा था। यह शोध छात्र आदिल अहमद ने आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के प्रोफेसर योगेंद्र सिंह के निर्देशन में किया। शोधार्थी आदिल के अनुसार शोध में पाया गया कि यदि ईंट की जगह थर्माकोल का इस्तेमाल कर चार मंजिला तक भवन बनाया जाए तो उसे भूकंप के अधिक तीव्रता वाले झटकों से भी कोई नुकसान नहीं होगा।

थर्माकोल से ऐसे तैयार होता है भवन

शोधार्थी आदिल ने बताया कि भवन की नींव सामान्य भवन की तरह ही तैयार की जाती है। इसके बाद दीवार खड़ी करने के लिए तीन-तीन मिलीमीटर मोटी लोहे की दो जालियों के बीच 80 मिलीमीटर मोटे थर्माकोल को फिक्स किया जाता है। जालियों को लोहे के तारों से आपस में जोड़कर खड़ा किया जाता है।

फिर जालियों के बीच फिक्स किए गए थर्माकोल के दोनों ओर 35-35 मिलीमीटर कंक्रीट भरा जाता है। इस कंक्रीट को एयर कंप्रेशर से स्प्रे किया जाता है। कंक्रीट की पूरी तरह दीवार पर चिपकने के बाद इसे चिकना व समतल (स्मूथ) किया जाता है। इस दीवार की कुल मोटाई छह इंच होती है। दीवार पर किसी तरह के कालम नहीं होते। इसी तरह भवन की छत आदि का भी निर्माण होता है।

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लैब में किया परीक्षण

आइआइटी रुड़की के भूकंप अभियांत्रिकी परिसर में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के कोष से लैब तैयार की गई है। शोधार्थी आदिल ने बताया कि थर्माकोल से बने भवन का माडल तैयार करके इस लैब में उसका परीक्षण किया गया। तैयार माडल पर धीरे-धीरे लोड बढ़ाया गया। पता चला कि इस तकनीक से बनाया गया चार मंजिला भवन भी अति तीव्र भूकंप से सुरक्षित रह सकता है।

 

थर्माकोल से बने भवन की विशेषताएं


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