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जेल अफसरों का हाथ, अपराधियों के साथ

मेहताब आलम, हरिद्वार जिला कारागार में दो दिन के भीतर दो बड़ी घटनाओं ने अफसरों की भ

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sun, 09 Sep 2018 03:00 AM (IST)
जेल अफसरों का हाथ, अपराधियों के साथ
जेल अफसरों का हाथ, अपराधियों के साथ

मेहताब आलम, हरिद्वार

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जिला कारागार में दो दिन के भीतर दो बड़ी घटनाओं ने अफसरों की भूमिका को एक बार फिर कठघरे में ला दिया है। बंदीरक्षक ने शुक्रवार को जीवा के शूटर शाहरुख पठान पर मोबाइल फोन चलाने और मारपीट करने का आरोप लगाया। अधिकारियों ने दोनों ही आरोपों का पुरजोर खंडन किया। अगले ही दिन शनिवार को जेल से मोबाइल बरामद हो गया। अब तो पुलिस को भी यकीन हो गया है कि जेल प्रशासन की अपराधियों से मिलीभगत है। एसएसपी हरिद्वार कृष्ण कुमार वीके शासन जेल अफसरों के खिलाफ रिपोर्ट भेजने जा रहे हैं।

प्रदेश की सबसे बड़ी जेल यूं तो एक दशक से सुर्खियों में है। लेकिन, पिछले दो साल से जेल के भीतर कुख्यात की रंगीन पार्टी, मोबाइल पर रंगदारी मांगने और वीडियो वायरल करने की घटनाओं ने पुलिस की पेशानी पर भी बल डाल दिए हैं। बीते मार्च और अप्रैल के महीने में चार बार मोबाइल पकड़े गए। एक कैदी ने तो बकायदा वीडियो बनाकर जेल की चाहरदीवारी से वायरल कर दिया। शुक्रवार की घटना में बंदीरक्षकों के आरोपों की पड़ताल करने के बजाय अफसर शूटरों को सही साबित करने में जुट गए। नतीजतन बंदी रक्षक विद्रोह पर उतर आए। अधिकारियों के इन्कार करने के अगले ही दिन जेल से मोबाइल बरामद होना कई सवाल खड़े करता है। बड़ा सवाल यह है कि आखिर जेल प्रशासन अपराधियों का बचाव क्यों करता है। जेल में बैठे अपराधी मोबाइल पर रंगदारी, लूट और हत्या जैसी संगीन वारदातों की साजिश रचते हैं। इससे पुलिस का सिरदर्द बढ़ता है। पिछले कुछ महीनों में एसएसपी कृष्ण कुमार वीके ने कई बार जेल में पुलिस टीम को छापेमारी के लिए भेजा। कमाल की बात यह है कि पुलिस एक बार भी मोबाइल बरामद नहीं कर पाई, जबकि मोबाइल मिलने का सिलसिला आम हो चुका है। ताजा घटनाक्रम पर पुलिस के आला अधिकारियों की भी पैनी नजर है। एसएसपी कृष्ण कुमार वीके जेल प्रशासन की भूमिका को लेकर शासन को रिपोर्ट भेजने जा रहे हैं।

शासन स्तर से भी हो रही लापरवाही

बार-बार मोबाइल मिलने पर भी शासन स्तर से किसी अधिकारी की जवाबदेही या जिम्मेदारी तय नहीं की गई। हर बार बंदीरक्षकों पर ही गाज गिरा दी गई। जेल में सीसीटीवी कैमरे या जैमर लगाने में जेल प्रशासन या शासन की कोई दिलचस्पी नहीं है। बड़ा सवाल यह भी है कि जेल की चाहरदीवारी के भीतर ऐसा क्या चल रहा है कि जिसे अधिकारी कैमरे में कैद नहीं होने देना चाहते हैं।

बार-बार जेल में मोबाइल मिल रहे हैं, जिससे आला अधिकारियों की मिलीभगत उजागर होती है। जेल के अधिकारी या तो डरते हैं या कोई और कारण है। जेल में अपराधियों के मोबाइल चलाने और संदिग्ध गतिविधियों का खामियाजा पुलिस को भुगतना पड़ता है। शासन को जेल अफसरों की भूमिका के बारे में रिपोर्ट भेजी जा रही है।

कृष्ण कुमार वीके, एसएसपी हरिद्वार


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